ईरान राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को नहीं मिला बहुमत, अब होगा सुपर मुकाबला

Iranian President

नई दिल्ली : ईरान में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए हुए मतदान की गिनती पूरी हो चुकी है. इस चुनाव में किसी भी प्रत्याशी को जीत के लिए पर्याप्त वोट नहीं मिले हैं. वोटों की गिनती पूरी होने के बाद चुनाव प्रवक्ता मोहसिन इस्लामी ने बताया कि पेजेशकियन और जलीली के बीच अब सीधा मुकाबला 5 जुलाई को होगा.

ऐसे चुना जाएगा ईरान का राष्ट्रपति : ईरान में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए हुए मतदान में किसी भी प्रत्याशी को जीत के लिए पर्याप्त वोट नहीं मिले हैं. ईरान के कानून के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करने पर ही कोई उम्मीदवार विजेता घोषित किया जा सकता हैं और यदि ऐसा नहीं होता है, तो शीर्ष के दो उम्मीदवारों के बीच में सीधा मुकाबला होगा. वोटों की गिनती पूरी होने के बाद चुनाव प्रवक्ता मोहसिन इस्लामी ने बताया कि पेजेशकियन और जलीली के बीच सीधा मुकाबला 5 जुलाई को होगा.

मोहसिन इस्लामी ने चुनाव परिणाम की घोषणा कर दी. इसके मुताबिक किसी को भी 50 प्रतिशत से ज्यादा मत नहीं मिला यानी पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. इसलिए अब शीर्ष दो उम्मीदवारों का चुनाव फिर से शुक्रवार को कराया जाएगा. ये मुकाबला सुधारवादी उम्मीदवार मसूद पेजेशकियन और कट्टरपंथी सईद जलीली के बीच शुक्रवार को होगा.

किसको कितने वोट मिले : चुनाव प्रवक्ता ने बताया कि कुल दो करोड़ 45 लाख वोटों में से पेजेशकियन को एक करोड़ चार लाख और जलीली को 94 लाख मत मिले. संसद के कट्टरपंथी स्पीकर मोहम्मद बाघेर कलीबाफ को 33 लाख वोट मिले और शिया धर्मगुरु मुस्तफा पूरमोहम्मदी को करीब 2,06,000 वोट मिले हैं. इसके बाद ये साफ हो चुका है कि संसद के कट्टरपंथी स्पीकर मोहम्मद बाघेर और मुस्तफा पूरमोहम्मदी राष्ट्रपति चुनाव की रेस से बाहर हो गए हैं. हालांकि इनका समर्थन बहुत ही महत्वपूर्ण और निर्णायक साबित होगा.

इतने प्रतिशत हुआ मतदान : ईरान में इस बार गार्जियन काउंसिल को चुनाव में भारी मतदान की उम्मीद थी. हालांकि आर्थिक कठिनाई और सामाजिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के कारण काफी कम लोग ने मतदान किया. शनिवार को जारी आंतरिक मंत्रालय की गणना के अनुसार ईरान में 40 प्रतिशत मतदान हुआ. यह चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब इजराइल और गाजा में ईरानी सहयोगियों हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह के बीच युद्ध के कारण तनाव बढ़ रहा है. साथ ही ईरान पर उसके तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी दबाव भी बढ़ रहा है.

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