नेपाल : पोखरा हवाई अड्डा निर्माण में 14 अरब नेपाली रुपये का घोटाला, संसदीय समिति रिपोर्ट में खुलासा

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नई दिल्ली/काठमांडू : नेपाल की एक संसदीय समिति ने पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण में करीब 14 अरब नेपाली रुपये के भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। इस खुलासे में बताया गया कि हवाई अड्डा निर्माण एक चीनी कंपनी ने चीन से आसान ऋण के साथ किया था। सांसद राजेंद्र लिंगडेन के नेतृत्व में प्रतिनिधि सभा (निचले सदन) की लोक लेखा समिति के तहत उप-समिति की एक रिपोर्ट में ये अनियमितताएं पाने पर परियोजना में शामिल कई वरिष्ठ अफसरों के विरुद्ध जांच व कार्रवाई की मांग की गई।

पोखरा क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा चीन के एक्जिम बैंक से लगभग 22 अरब रुपये के ऋण से बनाया गया था और 29 दिसंबर, 2022 को चीनी कंपनी ने इसे पूरा किया। समझौते के अनुसार, नेपाल को हवाई अड्डा बनने के बाद 7 वर्ष तक 2% ब्याज दर पर ऋण चुकाना होगा और फिर अगले 13 वर्षों में मूलधन चुकाना होगा। उप-समिति ने इसे अस्वाभाविक करार दिया कि जबकि नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएएएन) ने हवाई अड्डे के निर्माण की लागत 14.5 करोड़ डॉलर का अनुमान लगाया था।

सफेद हाथी साबित हुआ हवाई अड्डा : हिमालय की तलहटी में स्थित पर्यटन स्थल पोखरा में बना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नेपाल के लिए सफेद हाथी साबित हुआ है। यह चीन के कर्ज में गरीब देशों के फंसने का सीधा उदाहरण है। पोखरा के लिए हफ्ते में सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान है। भारत से पोखरा में कोई सीधी उड़ान नहीं है।

अफसरों के विरुद्ध सिफारिश : लोक लेखा समिति के तहत उप-समिति ने नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के महानिदेशक प्रदीप अधिकारी व परियोजना में अन्य लोगों सहित वरिष्ठ अफसरों को निलंबित करने की भी सिफारिश की। समिति के मुताबिक, इसने प्राधिकरण के दुरुपयोग की जांच के लिए आयोग (सीआईएए) और मनी लॉन्ड्रिंग जांच विभाग को पोखरा परियोजना के प्रमुख बिनेश मुनाकर्मी, प्रशासन के प्रमुख राजेंद्र प्रसाद पौडेल, सीएएएन के निदेशक व इंजीनियर बाबूराम पौडेल के विरुद्ध भी सिफारिश की है।

निर्माण के दौरान घटिया उपकरणों का इस्तेमाल : उप-समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की सरकारी कंपनी सीएएमसी इंजीनियरिंग ने परियोजना को निर्देश के अनुसार पूरा नहीं किया और खराब गुणवत्ता वाले निर्माण का उपयोग किया। इसके पहले सीएएमसी ने परियोजना की लागत बढ़ा दी और अपने स्वयं के व्यावसायिक हितों को प्राथमिकता देते हुए गुणवत्ता नियंत्रण बनाए रखने के नेपाल के प्रयासों को कमजोर कर दिया।

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