नई दिल्ली : पाकिस्तान के खिलाफ बलूचिस्तान में अब आर-पार की जंग छिड़ सकती है और इसकी वजह बनेगा पहलगाम का आतंकी हमला. दरअसल, मुनीर की जहरीली तकरीरों के बाद आतंकियों ने जिस तरह हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया. उससे बलूचिस्तान के लोग भड़के हुए हैं. हालत ये है कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जंग तेज करने का ऐलान कर दिया है क्योंकि बलूचिस्तान के पास पाकिस्तान से अलग होने का बढ़िया मौका है. भारतीय सेना के डर से पाकिस्तान ने बलूचिस्तान से अपनी काफी सेना हटाकर LoC पर तैनात करने का फैसला लिया है.
पाकिस्तान में छिड़ गया है आंतरिक विद्रोह : सवाल उठ रहा है कि पाकिस्तान के कितने हिस्से होने वाले हैं. गिलगित-बाल्टिस्तान बेकाबू हो गया. सिंध में भूख-प्यास का विद्रोह छिड़ गया है. बलूचिस्तान की हालत तो पूरी दुनिया को पता है. जहां पाकिस्तानी सेना के जवान जाने से भी डरने हैं.
बलूचिस्तान में शुरू हुई आज़ादी की जंग : बता दें कि पाकिस्तान के जहरीले जनरल के इशारे पर पहलगाम में जो नरसंहार किया गया है. अब बलूचिस्तान के लोग चुन-चुनकर उसका बदला ले रहे हैं. अभी दो दिन पहले पाकिस्तानी सेना के ट्रक को उड़ाया था. फिर BLA ने ISI के एक एजेंट को ठिकाने लगा दिया.
बता दें कि जब से पहलगाम में आतंकी हमला हुआ है. पाकिस्तान में अव्वल दर्जे के घटिया क्रिकेटर रह चुके शाहीद अफरीदी सबसे ज़्यादा आक्रमक हैं. पता नहीं आतंकवादी कौन से इनके चाचा, मामा या फूफा हैं. जिन्हें बचाने के लिए अफरीदी दलीलें दिए जा रहे है. जबकि जिन बलूचों को ये विद्रोही और आतंकी बताते है ना. वो पहलगाम हमले पर दुख जता रहे हैं.
मुनीर लापता, नेता दे रहे धमकी : आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने कई बार एक्सपोज हो चुका है. लेकिन पाकिस्तानी हुक्मरानों की बेशर्मी देखिए. जब बलूचिस्तान और पाकिस्तान के लोगों ने अपने हुक्मरानों को आइना दिखाने की कोशिश की तो ज़्यादा तिलमिला गए और भारत के साथ जाने की नसीहत देने लगे.
पाकिस्तानी पंजाब की मंत्री अज़मा बुखर ने दावा करते हुए कहा, ‘पाकिस्तान में तो पाकिस्तानी रह सकते हैं, दूसरा कोई नहीं रह सकता है और अगर उनको पाकिस्तान के साथ खड़े नहीं रहता है तो जहां मुंह करना है वहां चले जाएं बेहतर होगा. मैंने पहले भी गुजारिश की है कि ये जो होती है ना नाराज़गी कम से कम इस स्टेज पर छोड़ देनी चाहिए. वे हमारे लोग नहीं हैं, हमें नहीं पता है, आपको सब पता है.’
बलूचों को पाकिस्तान बर्दाश्त नहीं : आपको बता दें कि पाकिस्तानी हुक्मरानों का यही रवैया है. जिसने बलूचिस्तान में BLA और TTP जैसे संगठनों को तैयार किया है. अगर बलोच लोगों के हक की आवाज़ सुनी जाती तो बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होने की मुहिम शुरू ना करता. लेकिन अब पाकिस्तानी हुक्मरान लाख नाक रगड़ लें. बलूचों को पाकिस्तान बर्दाश्त नहीं है.
लेकिन सरकार तो तब सोचेगी ना. जब हुक्मरानों को करप्शन करने से फुर्सत मिलेगी. पाकिस्तान का इतिहास ही रहा है कि जो सत्ता में आया है. उसने पाकिस्तान को लूट-लूटकर खाया है. लेकिन पाकिस्तान के कई सूबे अब लुटने को तैयार नहीं है.