पाकिस्तान को विदेश मंत्री का जवाब, सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक आतंकवाद नहीं रुकेगा

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नई दिल्ली : भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था. इसके बाद पाकिस्तान में आतंकियों के 9 ठिकानों को तबाह किया था. आतंकियों पर जब प्रचंड प्रहार हुआ तो पाकिस्तान बौखला गया और ड्रोन अटैक करने की कोशिश की. इस पर उसे कड़ी जवाबी कार्रवाई में तबाही का सामना करना पड़ा. अब उसका दिमाग ठिकाने आया है. पाकिस्तान सिंधु जल संधि पर बात करना चाहता है. मगर, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक कहा है कि सिंधु जल संधि स्थगित है. तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को नहीं रोकेगा.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कश्मीर पर चर्चा के लिए एकमात्र मुद्दा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है. हम उस चर्चा के लिए तैयार हैं. पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध और व्यवहार पूरी तरह से द्विपक्षीय होंगे. ये राष्ट्रीय सहमति है और इसमें बिल्कुल भी बदलाव नहीं हुआ है.

प्रधानमंत्री मोदी ने ये साफ कर दिया है : होंडुरास दूतावास के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ये साफ कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल आतंकवाद पर होगी. पाकिस्तान के पास आतंकवादियों की एक लिस्ट है, जिसे सौंपे जाने की जरूरत है और उन्हें आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को बंद करना होगा. वो जानते हैं कि क्या करना है. हम उनके साथ आतंकवाद के बारे में चर्चा करने के लिए तैयार हैं.

हमारे पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव था : एस जयशंकर ने कहा कि हमारे लिए यह बहुत अच्छी बात है कि हमारे पास होंडुरास का नया दूतावास है. वो उन देशों में से एक हैं जिन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले के समय मजबूत एकजुटता व्यक्त की थी. मैं इसकी सराहना करता हूं. इस मामले में हमें बहुत अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मिला. हमारे पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव था कि अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर से उन्हें जवाबदेह ठहराया गया.

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही : भारत-अमेरिका रिश्तों पर उन्होंने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है. ये जटिल वार्ताएं हैं. कोई भी व्यापार सौदा दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होना चाहिए. इसे दोनों देशों के लिए कारगर होना चाहिए. व्यापार सौदे से हमारी यही अपेक्षा होगी. जब तक ऐसा नहीं हो जाता, इस पर कोई भी फैसला लेना जल्दबाजी होगी.

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