पंजाब : आज से अटारी बॉर्डर पर शुरू होगी रिट्रीट सेरेमनी, गुरुद्वारों में भी वापस लाया गया गुरु ग्रंथ साहिब

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नई दिल्ली : भारत-पाकिस्तान के बीच अब तनाव कम होता दिख रहा है। इसी बीच फैसला लिया गया है कि अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी फिर से शुरू होगी, लेकिन पहलगाम हमले के बाद बीएसएफ ने एक कड़ा संदेश भेजने का विकल्प चुना है। इसके तहत अब न ही गेट खुलेगा और न ही दोनों देशों के कमांडर हाथ मिलाएंगे। जानकारी दे दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद से यह बॉर्डर बंद कर दी गया था। इधर जिले के गुरुद्वारों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को भी वापस लाया जा रहा है।

बीएसएफ ने उठाए बड़े कदम : भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते 7 मई से स्थगित की गई ‘बीटिंग रिट्रीट’ सेरेमनी को बीएसएफ एक बार फिर आज से शुरू करने जा रही है। अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी 20 मई यानी मंगलवार से फिर शुरू होगी। सेरेमनी का समय शाम 6:00 बजे होगा। लेकिन बीएसएफ ने तय किया है कि अब समारोह के दौरान न ही गेट खोले जाएंगे और न ही हाथ मिलाए जाएंगे। बीटिंग रिट्रीट समारोह 1959 से दोनों देशों के बीच एक रिवाज रहा है।

यह परेड समारोह अटारी-वाघा, हुसैनीवाला (फिरोजपुर) और सदकी बॉर्डर (फाजिल्का) पर आयोजित होता है। लेकिन इस दौरान ना गेट खोले जाएंगे और ना ही हाथ मिलाए जाएंगे।

क्या है रिट्रीट सेरेमनी? : अटारी बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी, भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रोजाना होती है। यह समारोह बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) और पाकिस्तान रेंजर्स के जवानों द्वारा साझा रूप से आयोजित किया जाता है। इस समारोह को देखने के लिए देश और विदेश से लोग आते हैं।

समारोह का समय हर मौसम के मुताबिक बदलता रहता है, लेकिन आमतौर पर सर्दियों में यह समारोह शाम 4:15 बजे और गर्मियों में शाम 5:15 बजे शुरू होता है। मंगलवार यानी कल से सेरेमनी फिर से शुरू होने से, लोगों को यह अवसर मिलेगा कि वे इस अनोखे अनुभव को दोबारा महसूस कर सकें।

वापस लाया गया गुरु ग्रंथ साहिब : इधर भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक स्थित अमृतसर के राजाताल गांव और तरनतारन के नौशेरा ढल्ला गांव के गुरुद्वारों में 105 श्री गुरु ग्रंथ साहिब को वापस लाया जा रहा है। अब पाकिस्तान से सटे भारतीय जिलों में जनजीवन सामान्य हो रहे हैं। ऐसे में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को वापस लाया जा रहा है। बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब को यहां से पड़ोसी जिलों के विभिन्न गुरुद्वारों में ले जाया गया था।

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