महाराष्ट्र : श्री क्षेत्र शनिशिंगणापूर मंदिर में मुस्लिम कर्मियों की नियुक्ति से बढ़ा विवाद, अब ट्रस्ट ने लिया एक्शन

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अहिल्यानगर : महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री क्षेत्र शनिशिंगणापूर मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति का विवाद बढ़ गया है। 21 मई को मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों द्वारा कार्य किए जा रहे थे, इसके बाद हिन्दू संगठनों ने इस पर ऐतराज जताया और कहा कि मांस खाने वालों को क्यों शनि भगवान की शिला के पास भेजा गया। इसके बाद अब मंदिर ट्रस्ट बोर्ड ने मंदिर से मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया है।

कैसे शुरू हुआ विवाद? : मामला तब गरमाया जब 21 मई 2025 को मंदिर के पवित्र चबूतरे पर मुस्लिम कारीगरों द्वारा ग्रिल लगाने और शनिदेव भगवान के चबूतरे की सफाई और रंग रोगन का कार्य किया गया। इस घटना का पता लगने के बाद महाराष्ट्र मंदिर महासंघ और हिंदुत्ववादी संगठनों ने तीव्र आपत्ति जताई। जिसके बाद अब मंदिर के ट्रस्ट बोर्ड ने परिसर के सभी मुस्लिम कर्मचारियों को काम से हटा दिया है।

हिन्दू संगठनों ने मंदिर की सात्त्विकता पर उठाए सवाल : महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठनकर्ता सुनील घनवट ने इस घटना को अत्यंत निंदनीय बताते हुए कहा कि यह मंदिर की धार्मिक मर्यादा और सात्त्विक परंपराओं का घोर उल्लंघन है। उन्होंने मांग की कि संबंधित मुस्लिम कर्मचारियों का कार्य तुरंत रोका जाए। देवस्थान में कार्यरत करीब 300 मुस्लिम कर्मचारियों को हटाया जाए, और उन्हें नियुक्त करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन मांगों को नहीं माना गया, तो महाराष्ट्र में तीव्र जन आंदोलन छेड़ा जाएगा।

घनवट ने उदाहरण देते हुए कहा कि तेलंगाना के तिरुपति बालाजी मंदिर में भी ऐसी घटना के बाद मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने केवल हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि मंदिरों में आचार, आहार, श्रद्धा और भावना सात्त्विकता के अनुरूप होने चाहिए, और अन्य धर्म के लोगों की नियुक्ति मंदिर की धार्मिक पवित्रता पर सीधा आघात है।

देवस्थान ट्रस्ट का स्पष्टीकरण : वहीं इस पूरे विवाद पर शनि शिंगणापुर देवस्थान ट्रस्ट के ट्रस्टी आप्पासाहेब शेटे ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रिल लगाने के लिए जिन कारीगरों को बुलाया गया था, वे उस भक्त के माध्यम से आए थे, जिसने मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए निधि दी थी। संगठन की आपत्ति के बाद संबंधित मुस्लिम कारीगरों का कार्य तत्काल रोक दिया गया है।

शेटे ने यह भी कहा कि कुछ संगठनों द्वारा यह दावा किया गया कि मंदिर में 300 मुस्लिम कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन यह तथ्यहीन है। मंदिर में केवल 10 से 12 मुस्लिम कर्मचारी कार्यरत हैं, जिन्हें अब मंदिर परिसर में कार्य करने से रोक दिया गया है। ये कर्मचारी अब देवस्थान के अन्य विभागों में कार्यरत रहेंगे।

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