बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेज रहा भारत तो नीचता पर उतरी यूनुस की सेना

Bangladesh-Army-India

नई दिल्ली : भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा पर जमकर तनाव हो गया है. इसकी वजह है अवैध प्रवासियों को लेकर भारत का चल रहा मुहिम. भारत अब अवैध प्रवासियों पर बहुत सख्त नकेल कस रहा है. जिसके चलते विवाद अब और गहरा गया है. हद तो तब हो गई जब अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने की कोशिश को लेकर बांग्लादेश की सरकार और सेना ने कड़ा विरोध जताया है. बांग्लादेश के नेताओं ने इसे “संप्रभुता पर हमला” और “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा” बताया है.

इं‌डिया टूडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को भारत ने 67 बांग्लादेशियों को वापस भेजा, जबकि बुधवार को 13 लोग भारत-बांग्लादेश सीमा की जीरो लाइन पर फंसे रहे. जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड (बीजीबी) ने इन्हें अपने देश में घुसने से रोक दिया, जबकि भारत ने भी इन्हें वापस लेने से मना कर दिया. यह विवाद तब शुरू हुआ, जब भारत ने अवैध प्रवासियों को बांग्लादेश वापस भेजने की कोशिश की, लेकिन बांग्लादेश ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला बताकर विरोध जताया. 26 मई को बांग्लादेश सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि भारत द्वारा “अवैध लोगों को सीमा पार भेजना” अस्वीकार्य है और जरूरत पड़ने पर सेना कार्रवाई के लिए तैयार है.

भारत और बांग्लादेश के बीच करीब 4,096.7 किलोमीटर लंबी सीमा है. जिसकी सुरक्षा भारत की ओर से बीएसएफ और बांग्लादेश की ओर से बीजीबी करती है. लालमोनिरहाट के सामने पश्चिम बंगाल का कूचबिहार जिला है. द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, 13 लोग जीरो लाइन पर फंसे हुए हैं, जो न तो बांग्लादेश में जा पा रहे हैं और न ही भारत में वापस आ पा रहे हैं. बीजीबी के एक बटालियन कमांडर अब्दुस सलाम ने बताया कि उन्होंने बीएसएफ के साथ फ्लैग मीटिंग की मांग की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. एक स्थानीय नेता ने कहा, “हम बीजीबी के साथ खड़े हैं और किसी को भी जबरदस्ती हमारे देश में नहीं घुसने देंगे.”

बांग्लादेश के नेताओं ने भारत के इस कदम को “संप्रभुता पर हमला” और “सुरक्षा के लिए खतरा” बताया है. बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने 18 मई को कहा कि अवैध प्रवासियों को उचित चैनलों के जरिए ही वापस करना चाहिए. वहीं, 26 मई को बांग्लादेशी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत का “लोगों को धकेलना” स्वीकार्य नहीं है और जरूरत पड़ने पर सेना हस्तक्षेप कर सकती है.

अवैध प्रवासी भारत के लिए सुरक्षा की चुनौती बने हुए हैं. असम और पश्चिम बंगाल में जनसांख्यिकीय बदलाव और हाल के मुर्शिदाबाद दंगों में अवैध प्रवासियों की भूमिका सामने आई है. राजस्थान, गुजरात और असम जैसे राज्यों में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *