लाहौर : मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के प्रमुख हाफिज सईद के करीबी नेताओं ने बांग्लादेश में पिछले साल फैली हिंसा को लेकर एक बड़ा दावा किया है। इसके तहत उसके संगठन ने पिछले साल बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुए जन आंदोलन में भूमिका निभाई थी, जिससे हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी। जेयूडी नेता सैफुल्ला कसूरी ने इस पूरी प्रक्रिया को 1971 का बदला बताया।
बांग्लादेश से बदला लेने का दावा : मामला में पाकिस्तान के रहीम यार खान में एक सभा को संबोधित करते हुए जेयूडी नेता सैफुल्ला कसूरी ने यहां तक कह दिया कि 1971 में जब पाकिस्तान टूटा था, उस वक्त मैं चार साल का था। भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि उन्होंने दो-राष्ट्र सिद्धांत को बंगाल की खाड़ी में डुबो दिया। लेकिन हमने 10 मई को 1971 का बदला ले लिया। बता दें कि कसूरी 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की बात कर रहे थे, जब पाकिस्तान की सेना ने भारतीय और बांग्लादेशी सेनाओं के सामने ढाका में आत्मसमर्पण किया था।
ऑपरेशन सिंदूर का भी किया जिक्र : इसके साथ ही कसूरी ने स्वीकार किया कि 7 मई को भारत की तरफ से मुरीदके पर की गई एयर स्ट्राइक में उनका एक साथी मुदस्सर मारा गया, जिसका शव टुकड़ों में मिला। यह हमला पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। कसूरी ने आगे भावुक होते हुए कहा कि मैं उसके जनाज़े में शामिल नहीं हो पाया। हालांकि, रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तानी सेना, पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उस जनाजे में मौजूद थे।
हमें मरने से डर नहीं लगता- कसूरी : कसूरी ने दावा किया कि भारत ने उन्हें पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड करार दिया, जिससे उनका शहर कसूर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाने लगा है। उसने कहा कि हम अगली पीढ़ी को जिहाद के लिए तैयार कर रहे हैं। हमें मरने से डर नहीं लगता।