नई दिल्ली/वाशिंगटन : हर बीतते दिन के साथ मध्य पूर्व में इस्राइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष और विकराल होता जा रहा है। अब अमेरिका भी ईरान के खिलाफ हमलों में शामिल हो गया है और उसने तीन परमाणु स्थलों को निशाना बनाया है। यह कदम अमेरिका द्वारा गुआम में कई बी-2 स्टील्थ बॉम्बर जेट भेजने के बाद उठाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान परमाणु स्थलों पर हमलों की पुष्टि की है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमला किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि हमने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बहुत सफल हमला किया है, जिसमें फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान शामिल हैं। सभी विमान अब ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर हैं। प्राथमिक स्थल फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया। सभी विमान सुरक्षित रूप से अपने घर की ओर जा रहे हैं। हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई। दुनिया में कोई दूसरी सेना नहीं है जो ऐसा कर सकती थी। अब शांति का समय है! इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद।’
बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमान को गुआम भेजा : इजरायल-ईरान युद्ध में शामिल होकर अमेरिका ने यह कदम तब उठाया है जब अमेरिका ने अपने सबसे घातक लड़ाकू विमान बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमान को गुआम के एंडरसन एयरबेस पर तैनाती के लिए भेजा है। कहा जा रहा है कि इस बमवर्षक का असली ठिकाना हिंद महासागर में स्थित द्वीप डिएगो गार्सिया एयरबेस है, जहां से अमेरिका ने इराक पर हमले किए थे। माना जा रहा है कि ईरान के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले फोर्डो परमाणु स्थल को तबाह करने के लिए इसे भेजा गया है। यह परमाणु स्थल जमीन में करीब 90 मीटर नीचे है, जिसे तबाह करने में बी-2 स्टील्थ बमवर्षक ही सक्षम है।
इस्राइल ईरान के खिलाफ लंबे अभियान के लिए तैयार : इस बीच, इस्राइल ने कहा है कि वह ईरान के खिलाफ “लंबे अभियान” के लिए तैयार है क्योंकि वह ईरानी परमाणु और सैन्य स्थलों पर हमले जारी रखे हुए है। वहीं, इस्राइली हमलों से ईरान में मरने वालों की संख्या अब 430 हो गई गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में इस्राइली हमलों के कारण 3,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। वहीं इस्राइल में, अधिकारियों ने पिछले सप्ताह संघर्ष के बढ़ने के बाद से कम से कम 24 मौतों की सूचना दी है।
ईरान पहले ही दे चुका है अमेरिका को धमकी : यह हमला अमेरिका के लिए एक खतरनाक निर्णय है, क्योंकि ईरान पहले ही साफ कर चुका है कि यदि अमेरिका इस्राइली हमले में शामिल हुआ तो वह जवाबी कार्रवाई करेगा। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अमेरिका को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह युद्ध में सक्रिय रूप से भागीदार होता तो यह सभी के लिए बहुत-बहुत खतरनाक होगा। साथ ही, ट्रंप के लिए भी यह एक खतरनाक निर्णय है, क्योंकि उन्होंने अमेरिका को विदेशी संघर्षों से दूर रखने के वादे पर व्हाइट हाउस में एंट्री ली थी। अमेरिकी हस्तक्षेपवाद के मूल्य का उपहास उड़ाया था।