नई दिल्ली : सोशल मीडिया से लेकर दुनियाभर की मेन स्ट्रीम मीडिया में एक सवाल पूछा जा रहा है. अमेरिका एक तरफ ईरान की फोर्डो न्यूक्लियर साइट को तबाह कर देने का दावा कर रहा है. दूसरी तरफ ईरान ने साफ-साफ कहा है कि आधी रात में अमेरिका ने जो हमला किया वो पूरी तरह नाकाम रहा और जिस वक्त ये हमला किया गया ईरान की फोर्डो साइट में न्यूक्लियर सामग्री थी ही नहीं. अब सवाल ये है कि आखिर इस न्यूक्लियर साइट में मौजूद करीब 400 किलो यूरेनियम कहां गया.
ईरान का 400 किलो यूरेनियम कहां चला गया? : इस सवाल का जवाब ना अमेरिका के पास है ना इजरायल के पास. दोनों बस रटा रटाया एक ही जवाब दे रहे हैं कि ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर 78000 किलो बम बरसाए गए. जिसमें ईरान की तीनों न्यूक्लियर साइट्स तबाह हो गई.
अमेरिका के बड़बोले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो दावा किया. वही दावा अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की तरफ से किया गया. इन दावों से अलग एक दावा ईरान के स्टेट टीवी ने भी किया और बताया कि ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. ईरान स्टेट टीवी ने अपने दावे के समर्थन में एक दलील भी दी है. जिसमें कहा गया है कि फोर्डो न्यूक्लियर साइट्स पर दागे गए GBU-57 सिर्फ 20 फीट गहरे बंकर को तोड़ सकता है. जबकि फोर्डो न्यूक्लियर साइट 30 फीट से भी ज़्यादा मोटी और गहरी है.
क्या पहले ही हटा लिया गया था यूरेनियम? : ईरान का कहना है कि अमेरिका के हमले से न्यूक्लियर सेंटर को ज़रूर नुकसान पहुंचा है, लेकिन न्यूक्लियर प्रोग्राम को नहीं. हमलों से पहले ही फोर्डो परमाणु संयंत्र से ज्यादातर उच्च संवर्धित यूरेनियम को हटाकर गोपनीय स्थान पर पहुंचा दिया गया था. ईरानी स्टेट टीवी ने जो दावा किया. ठीक वैसा ही दावा पुतिन के सहयोगी दिमित्री मेदवेदेव ने भी किया. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा, ‘ईरान का यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम रुका नहीं है. अब खुलकर कहा जा सकता है कि परमाणु हथियारों का भविष्य में उत्पादन जारी रहेगा. फोर्डो में 83.7% तक समृद्ध यूरेनियम मौजूद है, जो परमाणु हथियार के लिए जरूरी 90% के करीब है.’
दावा है कि अमेरिका ने B-2 स्टेल्थ बॉम्बर से अमेरिका ने ईरान के फोर्डो एनरिचमेंट प्लांट पर बंकर बस्टर बम दागे. नतांज एटॉमिक फैसिलिटी सेंटर पर GBU-57 बम और मिसाइल अटैक किए. इस्फ़हान परमाणु टेक्नोलॉजी सेंटर पर टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों से हमला किया.
रेडिएशन में नहीं हुई बढ़ोतरी : हमले के फौरन बाद International Atomic Energy Agency यानि IAEA ने बयान जारी किया. जिसमें साफ-साफ कहा गया कि ईरानी न्यूक्लियर साइट्स के करीब ऑफ-साइट रेडिएशन के स्तर में कोई वृद्धि नहीं हुई है. जिसके बाद दुनियाभर के बुद्धिजीवी हमले की कामयाबी पर सवाल उठाने लगे. कुछ ने तो ये तक कहा कि ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर कुछ था ही नहीं, उसे पहले ही निकाल लिया गया था.
बताते हैं कि ईरान के इस्फ़हान परमाणु टेक्नोलॉजी सेंटर पर यूरेनियम को कन्वर्ट किया जाता था यानी रॉ मैटेरियल से यूरेनियम को निकाला जाता था. जबकि नतांज न्यूक्लियर साइट पर यूरेनियम एनरिचमेंट का काम होता था. इसके अलावा फोर्डो में न्यूक्लियर फ्यूल को प्यूरीफाई किया जाता था.
ईरान में 5 न्यूक्लियर साइट्स : जानते हैं ईरान की मुख्य रूप से 6 न्यूक्लियर साइट्स हैं. जिनमें से 5 पर इजरायल हमला कर चुका है. ईरान की एक न्यूक्लियर साइट पर रूस के करीब 200 लोग भी काम करते हैं. दावा है कि यहां इंटरनेशनल मानकों के तहत काम होता है. रूस पहले ही चेतावनी दे चुका है कि अगर इस जगह हमला हुआ तो गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. लिहाज़ा अमेरिका और इजरायल ने इससे दूरी बना रखी है.