नई दिल्ली/बीजिंग : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के दो दिवसीय सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ जंग में व्यापक सहयोग की वकालत की। एससीओ समिट को संबोधित करते हुए उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले और आतंक के खिलाफ भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए किंगदाओ में आना मेरे लिए खुशी की बात है।
मैं अपने मेजबानों को उनके गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं बेलारूस को एससीओ परिवार में एक नए सदस्य के रूप में शामिल होने पर बधाई देना चाहता हूं। हम जिस दुनिया में रहते हैं, वह एक बड़े बदलाव से गुजर रही है। वैश्वीकरण, जो कभी हमें एक साथ लाता था, अब अपनी गति खो रहा है। बहुपक्षीय प्रणालियों के कमजोर होने से शांति और सुरक्षा बनाए रखने से लेकर महामारी के बाद अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण तक की जरूरी चुनौतियों का समाधान करना मुश्किल हो गया है।’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘भारत का मानना है कि संशोधित बहुपक्षवाद संवाद और सहयोग के लिए तंत्र बनाकर देशों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए सहयोग बनाने में मदद कर सकता है। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता। वास्तव में वैश्विक व्यवस्था या बहुपक्षवाद का मूल विचार यह धारणा है कि राष्ट्रों को अपने पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा। यह हमारी सदियों पुरानी संस्कृत कहावत ‘सर्वे जन सुखिनो भवन्तु’ को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है- सभी’ के लिए शांति और समृद्धि।’
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मेरा मानना है कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी के इर्द गिर्द घूमती हैं। इन समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में बढ़ोतरी है। शांति और समृद्धि आतंकवाद, गैर-राज्य अभिनेताओं और आतंकवादी समूहों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के साथ नहीं रह सकती। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है। हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा और संरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए।’
नाम लिए बिना रक्षा मंत्री ने समिट में पाकिस्तान को खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने एससीओ देशों से आतंकवाद और ऐसे मुल्कों के खिलाफ साथ आने का आह्वान किया। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।’
राजनाथ सिंह ने कहा, ’22 अप्रैल 2025 को आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर नृशंस और जघन्य हमला किया। एक नेपाली नागरिक सहित 26 निर्दोष नागरिक मारे गए। पीड़ितों को धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मार दी गई। ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ संयुक्त राष्ट्र की ओर नामित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी समूह है। उसने हमले की जिम्मेदारी ली। पहलगाम आतंकी हमले का पैटर्न भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों से मेल खाता है। आतंकवाद से बचाव और सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए भारत ने 7 मई 2025 को सीमा पार आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सफलतापूर्वक शुरू किया।’
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘आतंकवाद का कोई भी कृत्य आपराधिक और बर्दाश्त से परे है, चाहे उसका उद्देश्य कुछ भी हो, जब भी, जहां भी और किसी के द्वारा भी किया गया हो। एससीओ सदस्यों को इस बुराई की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए। हम सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवाद के निंदनीय कृत्यों के अपराधियों, मददगारों, पैसे-संसाधन मुहैया कराने वालों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं।’