नई दिल्ली : केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ब्रिटिश रॉयल नेवी के F-35B स्टील्थ लड़ाकू विमान ने 14 जून को इमरजेंसी लैंडिंग की थी. तब से ये फाइटर जेट यहीं पर है और 19 दिन बाद भी विमान में आई खराबी को दूर नहीं किया जा सका है. ऐसे में यूनाइटेड किंगडम अब इस विमान को C-17 ग्लोबमास्टर परिवहन यानी सैन्य कार्गो विमान के जरिए वापस ब्रिटेन ले जाया जाएगा, जो अपनी श्रेणी के लड़ाकू विमान के लिए एक दुर्लभ कदम है.
लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित पांचवीं पीढ़ी के विमान एफ-35बी का एक शॉर्ट टेक-ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग (एसटीओवीएल) वर्जन, एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स, जो वर्तमान में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तैनात रॉयल नेवी का प्रमुख विमानवाहक पोत है, जिसमें वापस लौटने के दौरान तकनीकी खराबी की वजह से केरल हवाई अड्डे पर लैंडिंग कराया गया था.
ब्रिटिश हाई कमीशन द्वारा पिछले सप्ताह जारी किए गए एक बयान के मुताबिक,’ पायलट ने 15 जून को विमान को तिरुवनंतपुरम में सुरक्षित रूप से उतारा था.’ हालांकि, लैंडिंग के बाद विमान में कुछ समस्या उत्पन्न हो गई थी, जिसे अफसरों ने ‘इंजीनियरिंग समस्या’ बताया है.’ हाई कमीशन ने कहा, ‘ब्रिटेन का एक एफ-35 विमान प्रतिकूल मौसम की स्थिति की वजह से एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स में वापस नहीं आ सका. सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए विमान को भारत के तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर भेजा गया, जहां यह सुरक्षित रूप से उतरा. विमान में बाद में जमीन पर इंजीनियरिंग संबंधी समस्या उत्पन्न हो गई, जिसके कारण इसे वाहक के पास वापस नहीं लाया जा सका.
इंग्लैंड से एक्सपर्ट की आई टीम : सूत्रों ने पुष्टि की है कि इनिशियल असेसमेंट किए गए थे, लेकिन समस्या को ठीक करने की कोशिश असफल रहे. रॉयल नेवी ने तब से यूनाइटेड किंगडम से एक्सपर्ट्स की एक टीम को तैनात किया है जो उन्नत टेक्नोलॉजी और मरम्मत उपकरणों के साथ पहुंचे हैं. सूत्रों के मुताबिक, हवाई अड्डा अधिकारी भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के साथ समन्वय करके विमान को हवाई क्षेत्र में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) हैंगर में ले जाने की तैयारी कर रहे थे.
इमरजेंसी लैंडिंग : विमान ने 15 जून को स्थानीय समयानुसार सुबह 9:30 बजे भारत-ब्रिटेन नवल एक्सरसाइज के बाद इमरजेंसी लैंडिंग की. विमान में फ्यूल लेवल कम था, जिसके कारण विमान को मोड़ना ज़रूरी हो गया.अगले दिन रॉयल नेवी का AW101 मर्लिन हेलीकॉप्टर पायलट को निकालने के लिए हवाई अड्डे पर उतरा, जिसे वापस HMS प्रिंस ऑफ वेल्स में ले जाया गया. तब से जेट लगातार निगरानी में है.
F-35 सैन्य विमानन इतिहास सबसे महंगा प्रोग्राम : वहीं, भारतीय वायु सेना के सूत्रों ने पुष्टि की कि रॉयल नेवी के अनुरोध पर सैन्य सहायता प्रदान की गई थी. F-35 सैन्य विमानन इतिहास में सबसे बड़ा और सबसे महंगा वेपंस डेवलपमेंट प्रोग्राम है. ग्लोबल लेवल पर, F-35 बेड़े ने कई सेवाओं और युद्ध थिएटरों में 800,000 घंटे से ज्यादा उड़ान भरी है. इजरायल ने सीरिया और ईरान से जुड़े लक्ष्यों पर सटीक हमलों में अपने F-35A तैनात किए हैं, जबकि अमेरिका प्रशांत, यूरोप और मध्य पूर्व में F-35 की नियमित मौजूदगी बनाए रखता है.