RSS के प्रांत प्रचारकों की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक संपन्न, धर्मांतरण-जनसांख्यिकीय असंतुलन पर हुई चर्चा

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नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रांत प्रचारकों की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक रविवार को संपन्न हुई। बैठक में धर्मांतरण और जनसंख्या वृद्धि में अंतर के कारण जनसांख्यिकीय असंतुलन समेत कई अहम मुद्दों पर गहन चर्चा की गई। बैठक में मुख्य ध्यान आरएसएस के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों और संगठन के कामकाज पर रहा। सूत्रों के मुताबिक, संगठन ने देश के सामने मौजूद विभिन्न आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श किया।

दो अक्टूबर को आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष होंगे पूरे : आरएसएस की स्थापना विजयदशमी के दिन हुई थी। इस साल दो अक्टूबर को आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इस उपलक्ष्य में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और महासचिव दत्तात्रेय होसबाले की अध्यक्षता में शुक्रवार को नई दिल्ली में बैठक आयोजित की गई। तीन दिन तक चली यह बैठक रविवार को आरएसएस प्रमुख भागवत के संबोधन के साथ संपन्न हुई। बैठक में आरएसएस के सभी संयुक्त महासचिव, विभिन्न विभागों के प्रमुख और 32 सहयोगी संगठनों के राष्ट्रीय संगठनात्मक सचिव शामिल हुए। बैठक में देशभर से 200 से अधिक प्रांत प्रचारक, सह-प्रांत प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक, सह-क्षेत्र प्रचारक शामिल हुए।

हिंदू मंदिरों पर हुए हमलों को लेकर जताई चिंता : सूत्रों के अनुसार, बैठक में कनाडा और अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हुए हाल के हमलों और बांग्लादेश में हिंदुओं तथा अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा को लेकर चिंता जताई गई। इसके अलावा, देश में वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर भी विचार-विमर्श किया गया। साथ ही यह भी चर्चा की गई कि कैसे कुछ लोग भाषा, जाति या क्षेत्र के नाम पर समाज में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर चिंता जताते हुए सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने की रणनीति पर चर्चा की गई। सूत्रों ने बताया कि बैठक में प्रतिनिधियों ने मणिपुर की स्थिति पर भी चर्चा की, जहां मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष हुआ।

कुंभ मेले की सफलता की सराहना की : सूत्रों ने बताया कि बैठक में प्रयागराज में हाल ही में आयोजित हुए कुंभ मेले और सनातन आध्यात्मिक मूल्यों के इर्द-गिर्द हिंदुओं को एकजुट करने में इसके योगदान पर भी चर्चा हुई। प्रतिनिधियों ने कुंभ मेले की सफलता की सराहना की और जमीनी स्तर पर अपने अनुभव साझा किए।

ऑपरेशन सिंदूर पर भी की गई चर्चा : सूत्रों के अनुसार, बैठक में कुछ डिजिटल सामग्री के भारतीय पारिवारिक मूल्यों पर बुरा असर डालने पर चिंता जताई गई। साथ ही इस मुद्दे को हल करने के तरीकों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, ऑपरेशन सिंदूर पर भी चर्चा हुई। प्रतिनिधियों ने भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने अनुभव और आरएसएस कार्यकर्ताओं की भूमिका को साझा किया।

संगठनात्मक कार्यों में हुई प्रगति की समीक्षा की गई : वार्षिक बैठक में देश में आरएसएस के संगठनात्मक कार्यों में हुई प्रगति की समीक्षा की गई। साथ ही, संगठन के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में हिंदू सम्मेलनों से लेकर घर-घर संपर्क अभियान शुरू करने तक कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजनाओं पर भी चर्चा की गई।

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