नई दिल्ली/रियो डी जेनेरियो : ब्रिक्स सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर खूब चर्चा हुई। ब्रिक्स देशों ने बड़े पैमाने पर टैरिफ नीति की निंदा भी की। इस बात पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भड़क गए। उन्होंने ब्रिक्स देशों पर अमेरिका विरोधी होने का आरोप लगा दिया। हालांकि ब्रिक्स देशों के नेताओं ने ट्रंप के इस आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं ट्रंप के इस आरोप पर ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने प्रतिक्रिया भी दी। उन्होंने कहा कि दुनिया को अब किसी सम्राट की जरूरत नहीं है।
बता दें कि लूला दा सिल्वा का यह बयान ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन पर तब आया, जब ट्रंप ने रविवार रात धमकी दी कि जो देश अमेरिका के खिलाफ ब्रिक्स का समर्थन करेंगे। उन पर नए व्यापार टैरिफ लगाए जाएंगे।
ऐसा नेतृत्व नहीं चाहते तो खुद को सम्राट समझे : राष्ट्रपति लूला ने आगे कहा कि दुनिया बदल चुकी है। अब हम ऐसा नेतृत्व नहीं चाहते जो खुद को सम्राट समझे। ब्रिक्स देश सिर्फ एक नया आर्थिक दृष्टिकोण अपनाना चाहते हैं। शायद इसी वजह से कुछ देशों को हमसे परेशानी है। साथ ही लूला ने दोहराया कि वैश्विक व्यापार को केवल अमेरिकी डॉलर पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसा रास्ता तलाशना होगा, जिससे व्यापारिक लेन-देन डॉलर के बिना भी हो सके। लेकिन यह काम जिम्मेदारी और सावधानी से करना होगा।
और नेताओं ने क्या-क्या कहा? : ट्रंप की इस चेतावनी पर अन्य देशों के नेताओं ने भी चेतावनी दी। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि ब्रिक्स किसी वैश्विक शक्ति से प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहा है और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर वे आशावादी हैं।
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि टैरिफ का इस्तेमाल दबाव बनाने के औजार के रूप में नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स विन-विन सहयोग को बढ़ावा देता है, न कि किसी देश के खिलाफ है। वहीं रूस के क्रेमलिन प्रवक्ता ने कहा कि रूस और ब्रिक्स का सहयोग एक साझा सोच पर आधारित है और यह कभी भी किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होगा।
ट्रंप ने दी थी 100% टैरिफ लगाने की धमकी : गौरतलब है कि ये विवाद तब शुरू हुआ जब इस साल की शुरुआत में ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर ब्रिक्स देशों ने डॉलर की भूमिका को कमजोर करने की कोशिश की तो 100% टैरिफ लगाया जाएगा। इसके बाद ब्राजील ने ब्रिक्स की साझा मुद्रा के विचार से पीछे हटना शुरू कर दिया था।