नई दिल्ली : पहला स्वदेशी रूप से निर्मित गोताखोरी सहायता पोत बुधवार को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है। यह पोत गहरे समुद्री में गोताखोरी और बचाव अभियान चला सकती है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया, यह पोत गहरे पानी में बचाव कार्य करने वाली पनडुब्बी (डीएसआरवी) के लिए ‘मदर शिप’ यानी मुख्य जहाज के रूप में भी काम करेगा, ताकि पनडुब्बी में किसी आपातकाल की स्थिति में कर्मियों को बचाने और निकालने में मदद मिल सके।
नौसेना के प्रवक्ता ने कहा, निस्तार पहली स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित गोताखोरी सहायता पोत है। इसे हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने आठ जुलाई को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना को सौंपा गया। उन्होंने बताया कि यह एक खास तरह का पोत है और गहरे समुद्र में गोता लगाने और बचाव का काम करने में सक्षम है। ऐसी क्षमता दुनिया की कुछ ही नौसेनाओं के पास होती है।
यह युद्धपोत भारतीय रजिस्टर ऑफ शिपिंग (आईआरएस) के नियमों के अनुसार डिजाइन और बनाया गया है। यह युद्धपोत भारतीय नौवहन रजिस्टर (आईआरएस) के वर्गीकरण नियमों के अनुसार डिजाइन और निर्मित किया गया है। ‘निस्तार’ नाम संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ मुक्ति, बचाव या उद्धार होता है।
प्रवक्ता ने बताया कि यह जहाज 118 मीटर लंबा है और लगभग 10,000 टन वजन का है, जिसमें अत्याधुनिक गोताखोरी के उपकरण लगे हुए हैं और यह 300 मीटर गहराई तक गहरे समुद्र में गोताखोरी करने में सक्षम है। इस जहाज में 75 मीटर गहराई तक गोताखोरी के काम के लिए साइड डाइविंग स्टेज भी लगा हुआ है। नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि यह पोत गोताखोरों की निगरानी और 1000 मीटर गहराई तक बचाव कार्यों के लिए दूर से नियंत्रित वाहन (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स) से लैस है।