बिहार : श्रावणी मेले में जंजीरों में जकड़ ‘कैदी बम’ बनकर पहुंचा श्रद्धालु, बोला- भोलेनाथ ने ऐसा करने को कहा

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पटना : श्रावणी मेले की पवित्र कांवड़ यात्रा हमेशा से ही भक्ति, आस्था और संकल्प का प्रतीक रही है। लेकिन इस बार सुल्तानगंज से देवघर के पवित्र कांवरिया पथ पर जो दृश्य सामने आया, उसने श्रद्धा की परिभाषा को एक नया आयाम दे दिया। भक्तों के विशाल जत्थे के बीच एक ऐसा कांवड़िया दिखा, जिसकी कांवड़ यात्रा न केवल अनोखी थी, बल्कि आत्मशुद्धि और प्रायश्चित का अद्वितीय उदाहरण भी बन गई।

कैदी की तरह जंजीरों में जकड़ा दिखा भक्त : भीड़ के बीच चलते उस कांवड़िये को देखकर हर कोई ठिठक गया। उसका सिर झुका था, शरीर पर भगवा कपड़ों के साथ लोहे की मोटी जंजीरें जकड़ी थीं- दोनों हाथों में, पैरों में, कमर और गर्दन तक में। देखने में वह किसी अपराधी की तरह लग रहा था। लेकिन आंखों में गहरी भक्ति और चेहरे पर शांत आस्था की चमक बता रही थी कि वह कोई आम यात्री नहीं, बाबा भोलेनाथ का विशेष भक्त है।

इस भक्त का नाम है शंभू कुमार, जो बिहार के जहानाबाद जिले के निवासी हैं। वे पिछले दो दशकों से सावन में सुल्तानगंज से देवघर तक कांवड़ यात्रा कर रहे हैं, लेकिन इस बार की यात्रा उनके लिए कुछ खास है। शंभू बताते हैं कि इस बार बाबा भोलेनाथ मेरे सपने में आए और बोले कि तुमसे एक गुनाह हुआ है, और तुम्हें उसका प्रायश्चित करना होगा। इस बार मेरे दरबार में कैदी बनकर आओ।’

भक्ति के रास्ते पर आत्मशुद्धि की यात्रा : शंभू ने बाबा के आदेश को आज्ञा समझकर स्वीकार किया और खुद को जंजीरों में जकड़ लिया। लेकिन यह कैद केवल उनके शरीर के लिए थी, आत्मा तो पूर्णतः मुक्त हो चुकी थी। शंभू ने बताया कि मैंने जो भी गलती की हो, उसका पश्चाताप करना मेरा कर्तव्य है। यह कांवड़ यात्रा सिर्फ एक परंपरा नहीं, मेरे लिए आत्मशुद्धि का मार्ग है। मैं खुद को दोषी मानता हूं और इस रूप में बाबा के दरबार जा रहा हूं।

उनकी यह बात सुनकर आसपास खड़े श्रद्धालु भावविभोर हो उठते हैं। कुछ की आंखें नम हो जाती हैं तो कुछ हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हैं। कांवड़िया पथ पर जैसे ही शंभू गुजरते हैं, हर हर महादेव और बोल बम के नारों से वातावरण गूंज उठता है।

श्रद्धा के कई रंग, भक्ति का एक भाव : सावन के इस पवित्र महीने में सुल्तानगंज से देवघर तक करीब 100 किलोमीटर लंबा कांवड़िया पथ शिवभक्तों से पटा रहता है। कोई सिर पर कांवड़ लेकर नंगे पांव चलता है, कोई डीजे कांवड़ के साथ भक्तिरस में डूबा होता है, तो कोई तिरंगे के साथ देश की सलामती के लिए दुआ मांगते हुए आगे बढ़ता है। लेकिन शंभू जैसे कैदी बम बाबा के उन भक्तों में शामिल हैं, जो भक्ति को आत्मशुद्धि और प्रायश्चित का माध्यम मानते हैं।

प्रशासन ने बढ़ाया सहयोग, श्रद्धालुओं ने साझा की श्रद्धा : शंभू कुमार की जंजीरों में जकड़ी कांवड़ यात्रा को देखते हुए बांका जिले के प्रशासन ने भी तत्परता दिखाई है। उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा और चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई गई है ताकि रास्ते में किसी प्रकार की असुविधा न हो। कांवड़िया पथ पर मौजूद अधिकारियों ने कहा कि ऐसी आस्था विरले ही देखने को मिलती है। यह सिर्फ कांवड़ यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा है।

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