नई दिल्ली : निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति में सहायता के नाम पर नाबालिग किशोरियों को आर्थिक प्रलोभन देकर उनके अंडाणु (डिम्व) निकालने और बेचने का अवैध कारोबार सामने आया है। नेपाल पुलिस के केन्द्रीय अनुसन्धान ब्यूरो (सीआईबी) और मानव तस्करी अनुसन्धान ब्यूरो द्वारा की गई संयुक्त जांच से यह खुलासा हुआ है।
जांच में पाया गया है कि 18 वर्ष से कम उम्र की किशोरियों को 15 से 16 हजार रुपए देकर उनके अंडाणु निकाले जाते थे, जबकि उन्हें लाने वाले बिचौलियों को 30 से 35 हजार रुपए तक दिए जाते थे। सीआईबी के निदेशक एवं अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक चन्द्र कुवेर खापुड़ के अनुसार, किशोरियों को कई दिन तक हार्मोन इंजेक्शन दिए जाने के बाद सूक्ष्म शल्यक्रिया द्वारा अंडाणु निकाले जाते थे। इस मामले में काठमांडू के बब्बर महल स्थित होप फर्टिलिटी एण्ड डायग्नोस्टिक प्रा लि से जुड़े पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, कानूनी प्रक्रिया को लेकर अस्पष्टता के कारण उन्हें अदालत के आदेश पर हाजिर जमानत (सशर्त रिहाई) पर छोड़ दिया गया है।
शुरू में इस मामले को मानव तस्करी के रूप में देखा गया था, लेकिन सरकारी वकील की राय के अनुसार अंडाणु को मानव अंग के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता, इसलिए इसे मानव अंग तस्करी की श्रेणी में नहीं लाया गया। इसके बाद, सरकारी वकीलों के साथ विचार-विमर्श कर इसे बाल संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपराध मानकर आगे की जांच शुरू की गई। क्योंकि पीड़ित किशोरियाँ 18 वर्ष से कम उम्र की थीं, इसलिए यह मामला गंभीर माना गया है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यदि बालिग महिलाएं स्वेच्छा से अंडाणु दान करती हैं, तो उसमें कानूनी बाधा नहीं होती। लेकिन नाबालिगों को लालच देकर ऐसा करना अपराध है। नेपाल में शुक्राणु (स्पर्म) भंडारण के लिए कानूनी व्यवस्था मौजूद है, लेकिन अंडाणु दान को लेकर स्पष्ट कानूनी प्रावधान नहीं हैं, जिससे ऐसे मामलों में कार्रवाई करने में कठिनाई हो रही है। पुलिस ने साफ किया है कि आरोपितों को भले ही जमानत पर छोड़ा गया हो, लेकिन जांच जारी रहेगी और उन्हें नियमित रूप से पुलिस के समक्ष पेश होना पड़ेगा।