नई दिल्ली/ढाका : बांग्लादेश के मैमनसिंह में महान फिल्मकार सत्यजीत रे के मकान को गिराए जाने के दावों पर बांग्लादेश ने सफाई दी है। बांग्लादेश ने कहा है कि मैमनसिंह जिले में जिस मकान को ध्वस्त किया जा रहा है, उसका महान फिल्मकार सत्यजीत रे से कोई संबंध नहीं है। इससे पहले भारत ने कहा था कि सत्यजीत रे का मकान बांग्ला सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है, इसे गिराए जाने पर फिर से विचार किया जाना चाहिए और इसका पुनर्निर्माण कराकर इसे साहित्य संग्रहालय में बदल देना चाहिए।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि अभिलेखों की जांच से पुष्टि हुई है कि संबंधित घर का सत्यजीत रे के पूर्वजों से कभी कोई संबंध नहीं था। यह घर स्थानीय जमींदार शशिकांत आचार्य चौधरी ने अपने बंगले के पास कर्मचारियों के लिए बनवाया था। जमींदारी प्रथा खत्म होने के बाद यह सरकार के नियंत्रण में आ गया और इसे शिशु अकादमी को आवंटित कर दिया।
बांग्लादेश ने कहा कि जिला अधिकारियों ने मकान से संबंधित भूमि अभिलेखों की समीक्षा की। इसके बाद पता चला कि यह भूमि सरकार की है और इसका सत्यजीत रे परिवार से कोई संबंध नहीं है। स्थानीय वरिष्ठ नागरिकों और व्यक्तियों ने भी कहा कि रे परिवार और शिशु अकादमी को पट्टे पर दिए गए घर और जमीन के बीच कोई ऐतिहासिक संबंध ज्ञात नहीं है। यह घर पुरातात्विक स्मारक के रूप में भी सूचीबद्ध नहीं है।
रे परिवार ने काफी पहले बेच दिया था मकान : सरकार ने कहा कि यह सही है कि घर के सामने वाली सड़क हरिकिशोर रे रोड का नाम सत्यजीत रे के परदादा के नाम पर रखा गया है। रे परिवार का हरिकिशोर रे रोड पर एक घर था, जिसे उन्होंने बहुत पहले बेच दिया था और अब वह मौजूद नहीं है। नए मालिक ने वहां एक बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया था। अब जिस इमारत को ध्वस्त किया जा रहा है, वह जीर्ण-शीर्ण, जोखिमपूर्ण और अनुपयोगी थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि 2014 से शिशु अकादमी मैमनसिंह शहर में कहीं और किराये की संपत्ति में स्थानांतरित हो गई है। मौजूदा घर स्थानीय असामाजिक तत्वों द्वारा गैरकानूनी गतिविधियों का अड्डा बन गया है। इसलिए 2024 की पहली छमाही में साइट पर एक अर्ध-स्थायी इमारत के निर्माण की पहल की गई है।
बयान में कहा गया कि बुधवार को वरिष्ठ नागरिकों, साहित्यिक और सांस्कृतिक हस्तियों, पत्रकारों और स्थानीय समुदाय के सदस्यों की बैठक में प्रख्यात लेखक कंगाल शाहीन ने कहा कि यह इमारत हरि किशोर रे या सत्यजीत रे की नहीं है। सभी लोग इस पर एकमत थे कि बांग्लादेश शिशु अकादमी की इमारत का सत्यजीत रे या उनके परिवार से कोई ऐतिहासिक या पारिवारिक संबंध नहीं है। मैमनसिंह के पुरातत्व शोधकर्ता स्वप्न धर ने भी कहा है कि विचाराधीन घर सत्यजीत रे का पैतृक घर नहीं है।