पटना : नालंदा जिले के पावापुरी में एक ही परिवार के पांच सदस्यों द्वारा जहर खाकर आत्महत्या करने के मामले में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। मृतक धर्मेंद्र कुमार, जो मूल रूप से शेखपुरा जिले के पुरनकामा गांव के रहने वाले थे, लंबे समय से कर्ज और पारिवारिक विवाद से परेशान थे। पुलिस जांच में सामने आया है कि धर्मेंद्र के गोतिया (सगोत्री) के लोगों ने पुश्तैनी नौ बीघा जमीन का बंटवारा करने से इनकार कर दिया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जब धर्मेंद्र जमीन की मांग को लेकर गांव आते थे, तब उन्हें धमकाया जाता था। जमीन न मिलने और सामाजिक बहिष्कार की वजह से धर्मेंद्र को गांव छोड़कर पहले दिल्ली, फिर पटना और अंततः पावापुरी जाना पड़ा। धर्मेंद्र पर पांच लाख रुपये का कर्ज था। आर्थिक और मानसिक दबाव के चलते उन्होंने अपने पूरे परिवार के साथ जहर खाकर जान दे दी। धर्मेंद्र ने मौत से पहले दिए गए बयान में गोतिया के लोगों और कर्जदाताओं की प्रताड़ना का जिक्र किया था।
इसी बयान के आधार पर नालंदा जिले की पावापुरी थाना पुलिस ने शनिवार की देर शाम शेखपुरा जिले के पुरनकामा गांव में छापेमारी की। शेखपुरा पुलिस की मदद से मृतक के चचेरे भाई घनश्याम महतो को हिरासत में लिया गया और नालंदा ले जाया गया। इसकी पुष्टि करते हुए शेखपुरा सदर थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि नालंदा पुलिस आरोपी को अपने साथ ले गई है।सूत्रों का यह भी कहना है कि धर्मेंद्र की पुश्तैनी जमीन पर कब्जा कराने में एक जनप्रतिनिधि की संदिग्ध भूमिका भी सामने आ रही है। पुलिस इस दिशा में भी जांच कर रही है।
इसके साथ ही, पुलिस कुछ अन्य एंगल से भी छानबीन कर रही है। इसमें उन दो कर्जदाताओं की पत्नी और पुत्री पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनसे धर्मेंद्र ने पैसे लिए थे। धर्मेंद्र ने आरोप लगाया था कि इन महिलाओं के प्रति भी गलत नीयत रखी जा रही थी, जिससे मानसिक उत्पीड़न और बढ़ गया था।
गांव में पसरा मातम, लोगों में आक्रोश : इस हृदय विदारक घटना के बाद पुरनकामा गांव में शोक और स्तब्धता का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते गोतिया के लोगों ने धर्मेंद्र को उनका हक दे दिया होता, तो आज एक पूरा परिवार जिंदा होता। पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, एक-एक करके उन सामाजिक और पारिवारिक विफलताओं की परतें खुल रही हैं, जिनके चलते यह आत्महत्या जैसी भयावह घटना घटी।