झारखंड : नहीं रहे ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन, पूर्व सीएम का 81 वर्ष की उम्र में निधन; PM मोदी ने दुःख जताया  

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नई दिल्ली : झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन का निधन हो गया है। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में पूर्व सीएम ने अंतिम सांस ली है। ‘दिशोम गुरु’ के नाम से लोकप्रिय शिबू सोरेन का सर गंगा राम अस्पताल में एक महीने से अधिक समय से इलाज चल रहा था।

राष्ट्रपति और नितिन गडकरी गए थे अस्पताल : कुछ ही दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में शिबू सोरेन के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने गए थे।शिबू सोरेन का जून 2025 से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इलाज चल रहा था। जहां उन्हें ब्रेन स्ट्रोक और किडनी से संबंधित समस्याओं के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।

‘बहुत दुख हुआ, हेमंत सोरेन से बात की’ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताते हुए X पर लिखा, ”शिबू सोरेन जी एक ज़मीनी नेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में तरक्की की। वे आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए विशेष रूप से प्रतिबद्ध थे। उनके निधन से दुःख हुआ। मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी से बात की और संवेदना व्यक्त की। ओम शांति।”

‘आज मैं शून्य हो गया हूं’ : बता दें कि दिशोम गुरु काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। आज उनके बेटे और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने उनके निधन की जानकारी देते हुए अपना दुख जाहिर किया। उन्होंने कहा कि आज मैं शून्य हो गया हूं।

 तीन बार के थे पूर्व सीएम : शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और प्रमुख नेता थे। जिन्हें दिशोम गुरु के नाम से भी जाना जाता था। शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के रामगढ़ जिले (तत्कालीन बिहार के हजारीबाग जिले) के नेमरा गांव में हुआ था। वे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके थे। ये तीन बार (2005, 2008, और 2009) सीएम के पद पर कार्यरत थे। हालांकि, वे कभी भी अपना सीएम कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे।

आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ी लंबी लड़ाई : शिबू सोरेन ने झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने आदिवासियों के अधिकारों के लिए ‘धनकटनी आंदोलन’ शुरू किया था। इसके तहत उन्होंने महाजनों और साहूकारों के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट किया था। वे 1980 से 2019 तक दुमका से लोकसभा सांसद रहे और वर्तमान में राज्यसभा सांसद थे। उनकी अगुवाई में JMM ने झारखंड को अलग राज्य बनाने में निर्णायक योगदान दिया।

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