पाकिस्तान : अल्पसंख्यकों को मिलती है सिर्फ सफाईकर्मी की नौकरी, एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट

Pakistan-Alpashankhyak

नई दिल्ली/इस्लामाबाद : अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था की हालिया रिपोर्ट ने पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया है। पाकिस्तान में धर्म एवं जाति आधारित भेदभाव की डरा देने वाली व्यवस्था को उजागार किया है। रिपोर्ट ने एक ऐसी व्यवस्था का खुलासा किया है जो देश के सबसे हाशिए पर पड़े समुदायों का शोषण करने के लिए बनाई गई है और उन्हें बुनियादी श्रम अधिकारों और मानवीय गरिमा से वंचित रखा गया है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट बताती है कि सफाई कर्मचारी अधिकतर ईसाई और तथाकथित निचली जातियों के हिंदू होते हैं। वे भेदभावपूर्ण भर्ती, खराब हालात और व्यवस्थागत उपेक्षा के चलते खतरनाक व कम वेतन वाले कामों से बंधे रहते हैं। पाकिस्तानी अधिकार समूह सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस के साथ मिलकर तैयार की गई यह रिपोर्ट लाहौर, बहावलपुर, कराची, उमरकोट, इस्लामाबाद और पेशावर के 230 से अधिक कर्मचारियों के बयानों पर आधारित है।

जाति या धर्म के आधार पर नियुक्तियां दी जाती हैं : रिपोर्ट के अनुसार, 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी जाति या धर्म के आधार पर उन्हें नियुक्तियां दी गईं। बहावलपुर के एक व्यक्ति ने बताया कि उसने इलेक्ट्रीशियन के पद के लिए आवेदन किया था। जब भर्ती कर्ताओं को पता चला कि वह ईसाई है, तो उसे सफाई का काम दिया गया। उसने कहा, एक बार जब उन्हें पता चल जाता है कि आप ईसाई हैं, तो वे आपको केवल सफाई का काम ही देते हैं।

यह कलंक बहुत गहरा है। संस्था ने पाया कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग आधे कर्मचारियों को अपमानजनक शब्दों से पुकारा गया था। कई ने बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर उन्हें अलग-थलग किया गया। साझा बर्तन भी नहीं दिए गए। महिला कर्मचारियों को अतिरिक्त लिंग-आधारित भेदभाव का सामना करना पड़ा, जहां ईसाई महिलाओं को अनुपातहीन रूप से सबसे गंदे काम दिए गए।

नौकरी की असुरक्षा शोषण को और बढ़ा देती है। केवल 44 प्रतिशत सफाई कर्मचारियों के पास स्थायी अनुबंध थे, जबकि 45 प्रतिशत के पास कोई अनुबंध ही नहीं था। नगरपालिका अधिकारी लाभों से इनकार कर देते हैं और श्रम कानूनों के दायित्वों से बच निकलते हैं। उमरकोट में एक कर्मचारी ने संस्था को बताया कि उसने बिना नियमितीकरण के 18 साल दिहाड़ी पर बिताए हैं। काम करने की स्थितियां अक्सर जानलेवा होती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि सुरक्षात्मक उपकरणों की कमी के कारण 55 प्रतिशत कर्मचारियों को त्वचा के जलने से लेकर श्वसन संबंधी बीमारियों तक की स्वास्थ्य समस्याएं हुईं।

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