देहरादून : उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार के कैबिनेट ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2025 को स्वीकृति दे दी है, जिसके तहत अवैध धर्मांतरण पर कड़े दंड, डिजिटल माध्यम से प्रचार पर रोक और पीड़ितों के संरक्षण के सशक्त प्रावधान जोड़े गए हैं। इसके तहत प्रलोभन की विस्तृत परिभाषा भी बताई गई है, जिसके तहत उपहार, नकद/वस्तु लाभ, रोजगार, नि:शुल्क शिक्षा, विवाह का वचन, धार्मिक आस्था को आहत करना या दूसरे धर्म का महिमामंडन सभी को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है।
नियमों के उल्लंघन पर सजा का है प्रावधान : इस कानून के तहत सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण हेतु प्रचार करना या उकसावा देना दंडनीय अपराध माना जाएगा। इस कानून का सामान्य उल्लंघन करने पर 3-10 साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा संवेदनशील वर्ग से जुड़े मामलों में 5 से 14 साल, गंभीर मामलों में 20 साल से आजीवन कारावास तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही धर्म छिपाकर विवाह करने पर भी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पीड़ित के अधिकार, संरक्षण, पुनर्वास, चिकित्सा, यात्रा व भरण-पोषण व्यय की व्यवस्था भी इस कानून के तहत की गई है।
राज्य सरकार ने क्या कहा? : राज्य सरकार ने इस विधेयक को मंजूरी देते हुए कहा कि यह कानून नागरिकों के धार्मिक अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए, धोखाधड़ी, प्रलोभन या दबाव से होने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाएगा और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखेगा। दरअसल उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक की। इस बैठक के दौरान कुल 26 प्रस्ताव पेश किए गए। इसमें सबसे अहम प्रस्ताव था धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन। कैबिनेट की बैठक में कुल 16 अहम फैसले लिए गए। इसी कड़ी में धर्मांतरण कानून को लेकर भी फैसला किया गया है, जिसके बाद धर्मांतरण कानून और भी ज्यादा सख्त हो गया है।