नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने गुरुवार को कहा कि स्पेसएक्स ने फाल्कन-9 रॉकेट में तरल ऑक्सीजन के रिसाव की घटना को हल्के में लिया था। जिसके चलते शुभांशु शुक्ला सहित अन्य चार अंतरिक्ष यात्रियों की जान जोखिम में पड़ गई थी।
फाल्कन-9 रॉकेट के जरिये ‘एक्सिओम-4’ मिशन को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए प्रक्षेपित किया गया था। इस मिशन के तहत भारत के शुभांशु शुक्ला, अमेरिका की पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू को विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए आईएसएस पर भेजा गया था।
जांच के दौरान मिली थी दरार : नारायणन ने कहा कि इसरो के इंजीनियरों के आग्रह पर स्पेसएक्स ने तरल ऑक्सीजन को रॉकेट के इंजन तक ले जाने वाली ऑक्सिडाइजर लाइन में रिसाव की जांच की थी। इस दौरान उन्हें एक दरार का पता चला था, जो मिशन के लिए घातक साबित हो सकती थी।
उन्होंने कहा, अगर रॉकेट दरार के साथ उड़ान भरता है, तो यह कंपन के साथ टूट जाता है और एक बार जब यह टूट जाता है, तो एक विनाशकारी स्थिति होती है और कुछ नहीं। इसरो प्रमुख ने कहा, रॉकेट की ऑक्सिडाइजर लाइन में दरार की बात उनके (स्पेसएक्स के) लिए भी चौंकाने वाली थी। हालांकि बाद में सब कुछ ठीक करना पड़ा। शायद, उन्होंने इसे थोड़ा हल्के में लिया था।
उन्होंने कहा कि इसरो की टीम, जिसने 40 वर्षों से अधिक समय तक तरल ऑक्सीजन चालित इंजन पर काम किया है। उसने पूर्ण मरम्मत पर जोर दिया। जिस पर स्पेसएक्स की टीम ने काम किया। लेकिन अगर पूर्ण मरम्मत नहीं की गई होती, तो स्थिति विनाशकारी हो जाती। हमने चार अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाई है।
नारायणन ने एक दोषपूर्ण रॉकेट को उड़ान भरने से रोकने और चार अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने का श्रेय भारतीय शिक्षा प्रणाली और इसरो के मजबूत प्रशिक्षण को दिया। उन्होंने कहा कि 11 जून को रॉकेट को प्रक्षेपण के लिए ले जाने से पहले, आठ सेकंड का परीक्षण किया गया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसके इंजन उड़ान भरने के लिए तैयार हैं या नहीं।