नई दिल्ली/ढाका : भारत के पड़ोसी देश से 2700 से ज्यादा कैदी जेल से फरार हो गए। इनमें से करीब 700 कैदी कई महीने गुजर जाने के बाद अब तक वापस नहीं आए हैं। इससे जेल प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। भागने वाले कैदियों में खूंखार आतंकवादी और शातिर अपराधी भी शामिल हैं। यह घटना बांग्लादेश की है।
कैसे भागे कैदी : बांग्लादेश की जेल प्रणाली को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। देश के शीर्ष जेल अधिकारी ने बताया है कि जुलाई 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ शुरू हुए व्यापक विरोध और हिंसा के दौरान करीब 2,700 कैदी विभिन्न जेलों से फरार हो गए थे, जिनमें से लगभग 700 कैदी अब तक पकड़े नहीं जा सके हैं। यह जानकारी बांग्लादेश के जेल महानिरीक्षक (आईजी प्रिज़न) ब्रिगेडियर जनरल सैयद मुताहर हुसैन ने मंगलवार को दी।
भागने वालों में कई खूंखार आतंकी शामिल : हुसैन ने बताया कि फरार कैदियों में से कई बेहद खतरनाक माने जा रहे हैं। इनमें ऐसे अपराधी भी शामिल हैं, जिन्हें अदालत द्वारा मौत की सजा दी गई थी। इसके अलावा कई इस्लामी आतंकवादी भी इन फरार कैदियों में शामिल हैं। उन्होंने सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस से बातचीत करते हुए कहा, “इन 700 से अधिक फरार कैदियों में कम से कम नौ इस्लामी आतंकवादी हैं। साथ ही 69 ऐसे अपराधी हैं, जिन्हें या तो फांसी की सजा सुनाई गई थी या आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।”
भागे कैदियों की तलाश जारी : यह मामला तब सामने आया था जब पिछले वर्ष जुलाई में देशभर में भड़के विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता के बीच कई जेलों में सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गई थी। इस अव्यवस्था का लाभ उठाकर हजारों कैदी जेल से भाग निकले थे। यह स्थिति बांग्लादेश की आंतरिक सुरक्षा और जेल व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। करीब सात महीने पहले गृह मंत्रालय के सलाहकार, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी ने भी इसी आंकड़े की पुष्टि करते हुए कहा था कि सैकड़ों कैदी अब भी जेल के बाहर हैं और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं। हालांकि जेल विभाग का दावा है कि भागे हुए कैदियों में से कई ऐसे थे जिनकी सजाएं लगभग पूरी हो चुकी थीं और वे स्वेच्छा से वापस लौट आए, क्योंकि वे भागने के अपराध के चलते अपनी सजा और नहीं बढ़ाना चाहते थे।
सरकार ने उठाया ये कदम : इस पूरी घटना के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जेल सुधार की दिशा में कदम उठाने शुरू किए हैं। ब्रिगेडियर हुसैन ने बताया कि सरकार ने अब फैसला किया है कि अब देश की जेलों को ‘सुधार केंद्र’ कहा जाएगा, और ‘जेल विभाग’ का नाम बदलकर ‘करेक्शन सर्विसेज बांग्लादेश’ रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन जेल प्रणाली में व्यापक सुधार और आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा है। नए प्रस्तावित कानून के तहत जेलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित सीसीटीवी कैमरों की स्थापना, सुरक्षा कर्मचारियों के लिए बॉडी कैमरों का इस्तेमाल और जेल परिसरों के चारों ओर सुरक्षा व्यवस्था को अधिक चुस्त बनाने के प्रावधान रखे गए हैं। इन तकनीकी उपायों के जरिए सरकार जेलों में निगरानी प्रणाली को मजबूत बनाना चाहती है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।