कुवैत : सरकार ने 42 हजार लोगों की नागरिकता की रद्द, कुवैती से शादी रचाने वाली महिलाओं पर पड़ा असर

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नई दिल्ली/कुवैत : कुवैत में हाल ही में 42,000 से अधिक लोगों की नागरिकता रद्द कर दी गई है, जिससे देश में चिंता और अस्थिरता का माहौल है। यह कार्रवाई नए अमीर मिशाल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबाह के नेतृत्व में की गई है, जिन्होंने मई 2024 में सत्ता संभालने के बाद से कई कठोर कदम उठाए हैं।

सरकार ने विरोधियों पर कसा शिकंजा : अमीर ने लोकतंत्र को राज्य के लिए खतरा बताते हुए संसद को भंग कर दिया और संविधान में संशोधन की घोषणा की। इसके बाद से सरकार ने विरोधियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया, जिसमें सांसदों से लेकर आम नागरिकों तक की गिरफ्तारियां शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इन कार्रवाइयों को दमनकारी करार दिया है।

महिलाओं पर पड़ा असर : नागरिकता रद्द करने का सबसे बड़ा असर उन महिलाओं पर पड़ा है, जिन्होंने कुवैती पुरुषों से शादी के बाद नागरिकता प्राप्त की थी। अब ये महिलाओं सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं, बच्चों की शिक्षा और सामाजिक लाभों से वंचित हो गई हैं। सरकार का दावा है कि यह कदम उन विदेशियों के खिलाफ उठाया गया है, जिन्होंने अवैध रूप से कुवैती नागरिकता हासिल की थी। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह कार्रवाई मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इससे सामाजिक अस्थिरता बढ़ सकती है।

कुवैत ने लिया बड़ा फैसला : इस बीच, कुवैत ने अवैध रूप से रह रहे लगभग एक लाख विदेशी प्रवासियों को देश से निकालने का भी निर्णय लिया है। सरकार ने जुर्माना-माफी योजना को रोक दिया है और अवैध निवासियों को निर्वासित करने की योजना पर आगे बढ़ रही है। अवैध लोगों को रोजगार देने वाले कुवैती व्यक्तियों या कंपनियों को भी आरोपों का सामना करना पड़ेगा।

शुरू की गई है हेल्पलाइन : सरकार ने लोगों को फर्जी नागरिकों की सूचना देने के लिए एक हेल्पलाइन तक शुरू कर दी है। कुल मिलाकर, कुवैत में हाल के इन कठोर कदमों ने देश में सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दिया है, जिससे जनता में भय और अनिश्चितता का माहौल है।

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