नई दिल्ली : भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) की फरवरी में हुई अमेरिका यात्रा के दौरान क्या उन्हें कोर्ट का कोई वारंट तामील कराया गया था? अमेरिका में छिपे खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के इस दावे पर अब अमेरिका की कोर्ट का अहम बयान सामने आया है. जिसने खालिस्तानी प्रोपेगंडा की एक बार फिर हवा निकाल दी है.
अमेरिका की एक अदालत ने स्पष्ट किया है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की फरवरी में हुई उनकी वाशिंगटन यात्रा के दौरान कोई अदालती दस्तावेज नहीं दिया गया था. अदालत ने खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के इस दावे को साफ तौर पर खारिज कर दिया कि शीर्ष भारतीय अधिकारी को समन सहित अन्य अदालती दस्तावेज दिए गए थे.
अमेरिकी जिला न्यायाधीश कैथरीन पोल्क फैला ने हालिया आदेश में कहा, ‘अदालत ने उपरोक्त दस्तावेज और संलग्न सामग्री की समीक्षा की है और पाया है कि यह संबंधित व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाया था. अदालती दस्तावेज होटल प्रबंधन के किसी सदस्य या स्टाफ या प्रतिवादी को सुरक्षा प्रदान करने वाले किसी अधिकारी या एजेंट को नहीं दिया गया था, जैसा कि अदालत के आदेश के अनुसार आवश्यक है.’
पन्नू ने डोभाल और एक अन्य भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के खिलाफ दीवानी मुकदमा दायर किया है. संघीय अभियोजकों ने गुप्ता पर आरोप लगाया है कि उसने अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में भारत के एक सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर काम किया था.
12 फरवरी को यूएस गए थे डोभाल : पन्नू ने अदालती दस्तावेजों में दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए 12-13 फरवरी को अमेरिका की यात्रा पर आए थे. उस दौरान डोभाल भी उनके साथ वाशिंगटन पहुंचे थे. इस दौरान उन्हें (डोभाल को) अदालती दस्तावेज सौंपने के लिए उसने दो कानून पेशेवरों और एक जांचकर्ता को नियुक्त किया था.
पन्नू के मुताबिक, सबसे पहले 12 फरवरी को राष्ट्रपति भवन के अतिथि भवन ‘ब्लेयर हाउस’ में डोभाल को अदालती दस्तावेज देने का प्रयास किया गया, जहां मोदी और उनका प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन डीसी की यात्रा के दौरान ठहरा था.
पन्नू ने एजेंट के जरिए भिजवाया वारंट : पन्नू ने अदालती दस्तावेजों में कहा कि ‘ब्लेयर हाउस’ के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी, इसके चारों ओर अवरोधक लगाए गए थे और एकमात्र जांच चौकी पर सीक्रेट सर्विस एजेंट पहरा दे रहे थे.
उसने कहा कि अदालती दस्तावेज देने पहुंचे व्यक्ति ने इनमें से एक एजेंट से संपर्क किया और बताया कि वह डोभाल को कानूनी दस्तावेज देने के लिए वहां आया है. उसने यह भी बताया कि उसके पास एनएसए को सुरक्षा प्रदान करने वाली सीक्रेट सर्विस के किसी भी सदस्य को दस्तावेज सौंपने की अनुमति वाला अदालती आदेश है.
सीक्रेट सर्विस के जवानों ने भगाया : पन्नू ने अदालती दस्तावेजों में कहा, ‘उस व्यक्ति ने सीक्रेट सर्विस एजेंट को अदालती आदेश की एक प्रति दिखाई, लेकिन एजेंट ने कोई भी दस्तावेज लेने से इनकार कर दिया और व्यक्ति से वहां से जाने के लिए कहा.’
पन्नू ने कहा कि जिस व्यक्ति को उसने शिकायत देने के लिए नियुक्त किया था, उसे डर था कि अगर उसने कोई और हरकत की, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
अदालत ने खारिज किया पन्नू का दावा : पन्नू के मुताबिक, अगले दिन 13 फरवरी को एक अन्य व्यक्ति ने ब्लेयर हाउस में डोभाल को दस्तावेज देने का प्रयास किया, लेकिन एक सार्जेंट सहित ‘तीन सीक्रेट सर्विस एजेंट’ ने उसे ब्लेयर हाउस के बाहर जांच चौकी पर रोक दिया.
पन्नू के अनुसार, इसके बाद उस व्यक्ति ने ब्लेयर हाउस के पास एक कॉफी स्टोर में दस्तावेज छोड़ दिया और सीक्रेट सर्विस एजेंट से कहा कि वे उसे उठाकर डोभाल को दे दें. पन्नू ने दावा किया कि उसने डोभाल को अदालती दस्तावेज देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन अदालत ने उसके दावे को खारिज कर दिया.