खगोलविदों ने आकाशगंगा में खोजे 18 नए पुच्छल तारे, एरेसिबो टेलीस्कोप के जरिये AO 327 सर्वे में कामयाबी

Akashganga-Star-New

नई दिल्ली/चार्ल्सटन : वेस्ट वर्जीनिया यूनिवर्सिटी और अन्य खगोलविदों ने एओ 327-मेगाहर्ट्ज ड्रिफ्ट सर्वे के तहत एरेसिबो वेधशाला (एओ) का उपयोग करते हुए आकाशगंगा में 18 नए पुच्छल तारों (पल्सर) की खोज की है। ये अत्यधिक चुंबकीय और घूर्णनशील न्यूट्रॉन तारे होते हैं जो विद्युत चुम्बकीय विकिरण की किरणें उत्सर्जित करते हैं। ये अक्सर रेडियो तरंगों के रूप में देखे जाते हैं। हालांकि कुछ को ऑप्टिकल, एक्स-रे और गामा-रे दूरबीनों से भी देखा जा सकता है।चमकते हुए खगोलीय पिंड जिनकी पूंछ होती है उन्हें पुच्छल तारा कहते हैं।

इन्हें धूमकेतु भी कहा जाता है। ये बर्फ, धूल और चट्टानों से बने होते हैं। ये सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार पथ पर घूमते हैं। एओ 327 सर्वे 327 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी पर एरेसिबो टेलीस्कोप का उपयोग करके किया गया था। यह 2010 में शुरू हुआ और दिसंबर 2020 में पूरा हुआ। इसका उद्देश्य पूरे एरेसिबो आकाश में (झुकाव -1 से 38 डिग्री के बीच) पल्सर और रेडियो ट्रांजिएंट्स की खोज करना था। अध्ययन में कहा गया है कि एओ 327 सर्वेक्षण से मिलने वाले ये अंतिम पुच्छल तारे हैं, जिनका एरेसिबो वेधशाला के माध्यम से अध्ययन किया जा सकता है। यह अध्ययन प्री-प्रिंट सर्वर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

व्यवहार का हुआ अध्ययन : खगोलविदों की टीम ने कुल 49 पुच्छल तारों की पहचान की जिनमें से 18 पहले ज्ञात नहीं थे। इसके बाद इन सभी के व्यवहार और गुणों का अध्ययन किया गया। इनमें से एक पुच्छल तारा पीएसआर जे0916+0658 आंशिक रूप से पुनर्नवीनीकृत पुच्छल तारा है, जबकि बाकी सभी बिना पुनर्नवीनीकरण वाले हैं।

आगे और गहराई से होगी जांच : आगे के शोध से पुच्छल तारों की उत्सर्जन विशेषताओं और ध्रुवीकरण गुणों की अधिक गहराई से जांच होगी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि एओ 327 सर्वेक्षण से और भी पल्सर खोजे जाएंगे। अभी दो फीसदी डेटा की  प्रोसेसिंग और 60 फीसदी खोजों का निरीक्षण  किया जाना बाकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *