अमेरिका : आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर गिरफ्तार, 26 साल से थी फरार; CBI लेकर आएगी भारत

America-Monica-CBI-to-India

नई दिल्ली/वॉशिंगटन : सीबीआई ने कथित आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर को अमेरिका से हिरासत में ले लिया है। सीबीआई की टीम 25 साल से अधिक समय से फरार आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका में मोनिका को हिरासत में लेने के बाद सीबीआई की टीम भारत के लिए रवाना हो चुकी है और बुधवार रात तक देश पहुंचने की उम्मीद है।

अमेरिका से सीबीआई लेकर हुई रवाना : सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि मोनिका का अमेरिका से प्रत्यर्पण न्याय की दिशा में एक बड़ी सफलता है। यह अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की परवाह किए बिना, भगोड़े अपराधियों को भारत में कानून के कठघरे में लाने की सीबीआई की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके बाद उसे संबंधित अदालत में पेश किया जाएगा और अब उस पर मुकदमा चलेगा।

अधिकारियों ने बताया कि न्यूयॉर्क स्थित यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट) ने भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। अमेरिकी विदेश मंत्री ने मोनिका कपूर के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें भारत वापस लाया गया तो उन्हें प्रताड़ित किया जा सकता है, इसलिए उनका प्रत्यर्पण 1998 के विदेश मामलों के सुधार और पुनर्गठन अधिनियम द्वारा लागू किए गए संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी कन्वेंशन का उल्लंघन होगा।

धोखाधड़ी के बाद अमेरिका भाग गई थी मोनिका : मोनिका कपूर 1999 में कथित धोखाधड़ी के बाद अमेरिका भाग गई थी। उस पर आरोप है कि उन्होंने अपने दो भाइयों के साथ मिलकर ज्वेलरी व्यवसाय के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए, जिनका इस्तेमाल भारतीय सरकार से कच्चे माल के शुल्क-मुक्त आयात के लाइसेंस लेने में किया गया। इस कथित धोखाधड़ी से भारतीय राजस्व को 6.79 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 5.7 करोड़ रुपये) से अधिक का नुकसान हुआ था। भारत ने अक्तूबर 2010 में अमेरिका से मोनिका कपूर के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था, जो दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत किया गया था।

क्या है पूरा मामला? : मोनिका कपूर दिल्ली की ओवरसीज नाम की फर्म की मालकिन है। सीबीआई का कहना है कि मोनिका ने अपने भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर नकली एक्सपोर्ट दस्तावेज, जैसे शिपिंग बिल, चालान (इनवॉइस) और बैंक सर्टिफिकेट बनवाए। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने सरकार से ड्यूटी-फ्री सोना (गोल्ड) आयात करने के लिए छह लाइसेंस लिए, जिनकी कीमत 2.36 करोड़ रुपये थी। फिर इन लाइसेंसों को उन्होंने गुजरात के दीप एक्सपोर्ट्स नाम की कंपनी को ऊंचे दाम पर बेच दिया। इस कंपनी ने इन लाइसेंसों का इस्तेमाल कर ड्यूटी-फ्री सोना मंगवाया, जिससे सरकार को लगभग 1.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

2004 में चार्जशीट, 2006 में घोषित अपराधी : सीबीआई ने जांच पूरी होने के बाद 31 मार्च 2004 को मोनिका कपूर और उनके दोनों भाइयों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराएं 120-B (षड्यंत्र), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468 और 471 के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 दिसंबर 2017 को राजन खन्ना और राजीव खन्ना को दोषी करार दे दिया। लेकिन मोनिका कपूर जांच में शामिल नहीं हुईं। कोर्ट ने 13 फरवरी 2006 को उन्हें घोषित अपराधी घोषित कर दिया और 2010 में उनके खिलाफ गिरफ्तारी का खुला गैर-जमानती वारंट और रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया।

अमेरिका से प्रत्यर्पण की बड़ी सफलता : सीबीआई ने अमेरिका से मोनिका कपूर के प्रत्यर्पण के लिए 19 अक्तूबर 2010 को औपचारिक अनुरोध भेजा था। कई वर्षों की बातचीत और समन्वय के बाद अब अमेरिका ने मोनिका को भारत को सौंप दिया है। सीबीआई की एक टीम अमेरिका जाकर उन्हें हिरासत में लेकर वापस भारत ला रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *