सीजफायर की आड़ में क्रिप्टो डील, बेटे-दामाद की कंपनी बचाने के लिए पाकिस्तान की पैरवी कर रहे ट्रंप

America-Trump

वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का श्रेय ले रहे हैं। इस बीच ट्रंप के बार-बार संघर्ष विराम के लिए पाकिस्तान की पैरवी करने की बड़ी वजह सामने आई है। बताया जा रहा है कि ट्रंप ने संघर्ष विराम की आड़ में पाकिस्तान के साथ बड़ा क्रिप्टो समझौता किया है।

ट्रंप के परिवार की क्रिप्टोकरेंसी कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) ने पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के साथ डील की है। इस कंपनी में ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर, उनके बेटे एरिक और डोनाल्ड जूनियर की 60 फीसदी हिस्सेदारी है। यह खुलासा होने के बाद भारत ने समझौते की जांच शुरू कर दी है। इस समझौते का अहम उद्देश्य पाकिस्तान में वित्तीय समावेशन और डिजिटल परिवर्तन को बढ़ाना है।

22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर में पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई प्रतिबंध लगाए थे। इस बीच 27 अप्रैल को पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल ने ट्रंप के परिवार से जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के साथ समझौता किया। इस कार्यक्रम में वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल की टीम ने शिरकत की थी। इस टीम का नेतृत्व में डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोग स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकेरी विटकॉफ ने किया था। उन्होंने यहां पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की थी।

पाकिस्तान ने पिछले महीने ही पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल की स्थापना की है। इस काउंसिल का उद्देश्य पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की क्रिप्टो राजधानी बनाना है। पाकिस्तान ने बिनेंस के संस्थापक चांगपेंग झाओ को अपने क्रिप्टो काउंसिल का सलाहकार बनाया है। पाकिस्तान की क्रिप्टो काउंसिल और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के बीच हुए समझौते के अनुसार पाकिस्तान के वित्तीय संस्थानों में ब्लॉकचेन तकनीक को एकीकृत किया जाएगा।

ब्लॉकचेन से जुड़े वित्तीय उत्पादों को  को सुरक्षित तरीके से आजमाने के लिए काम किया जाएगा। व्यापार और रेमिटेंस के लिए स्टेबलकॉइन के विकास पर जोर दिया जाएगा। रियल एस्टेट और कमोडिटी को डिजिटल टोकन में बदला जाएगा। वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल पाकिस्तान को ब्लॉकचेन ढांचा बनाने और वैश्विक नियमों को समझने में मदद करेगा।

पहलगाम हमले के बाद जब इस सौदे को लेकर सवाल खड़े हुए तो वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल ने कहा था कि इस समझौते का कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। जबकि भारत ने इस सौदे की जांच शुरू करा दी है। वहीं विशेषज्ञों ने इस गठबंधन पर चिंता जताई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *