नई दिल्ली : साइबर अपराध के उभरते खतरनाक रूपों में से एक है साइबर गुलामी. जिसमें लोगों को विदेशों में नौकरी के झूठे प्रस्तावों के माध्यम से फंसाया जाता है और बाद में उन्हें बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी की गतिविधियों में मजबूर किया जाता है. महाराष्ट्र साइबर ने हाल ही में ऐसी ही एक गंभीर घटना में त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करते हुए म्यांमार से 60 से अधिक भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक बचाया और सुरक्षित रूप से महाराष्ट्र वापस लाया.
इन पीड़ितों से विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एजेंटों ने संपर्क किया और विदेशों में उच्च वेतन वाली नौकरियों का झांसा दिया. संपर्क स्थापित होने के बाद, एजेंटों ने फ्लाइट टिकट, पासपोर्ट और वीज़ा की सभी प्रक्रियाएं पूरी करवाईं. उन्हें टूरिस्ट वीजा पर थाईलैंड भेजा गया, यह कहकर कि बाद में उन्हें नौकरी के स्थान पर स्थानांतरित किया जाएगा.
थाईलैंड पहुंचने पर, उनकी तस्वीरों के आधार पर उनकी पहचान की गई और उन्हें थाई-म्यांमार सीमा की ओर 7-8 घंटे की यात्रा कराई गई. इसके बाद उन्हें छोटी नावों से नदी पार कर म्यांमार पहुंचाया गया, जहां उन्हें हथियारबंद विद्रोही समूहों द्वारा नियंत्रित परिसरों में रखा गया. वहां उन्हें एक साल के अनुबंध पर साइन करने के लिए मजबूर किया गया. बताया गया है कि इन पीड़ितों को भेजने वाले एजेंटों को प्रति व्यक्ति लगभग 1000 अमेरिकी डॉलर तक की राशि दी गई थी.
इन परिसरों में बंद करके पीड़ितों से साइबर धोखाधड़ी जैसे डिजिटल अरेस्ट स्कैम, फर्जी निवेश योजनाएं आदि करवाई जाती थीं. यह ऑपरेशन अत्यंत संगठित और स्तरबद्ध था. निचले स्तर के भर्ती लोग नकली महिला प्रोफाइल के ज़रिए लोगों को फंसाते थे, फिर मध्य-स्तर के सदस्य खुद को कानून प्रवर्तन या कस्टम अधिकारी बताकर लोगों को डराते थे, और अंत में वरिष्ठ स्तर के ऑपरेटिव पीड़ित से पैसा ऐंठते थे.
रेस्क्यू के बाद, महाराष्ट्र साइबर ने गहन पूछताछ और जांच कर इस नेटवर्क से जुड़े अपराधियों की पहचान की. जांच में कई ऐसे एजेंट और फर्जी कंपनियों का नाम सामने आया जो कॉल सेंटर की आड़ में काम कर रहे थे. इन फर्जी रोजगार एजेंसियों के खिलाफ महाराष्ट्र साइबर ने तीन प्राथमिकी (FIR) दर्ज की हैं. FIR क्रमांक 13/2025 , FIR क्रमांक 15/2025 , FIR क्रमांक 16/2025 जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 127(2), 127(4), 143(2), 308(5), 308(4), 319(2), 351(2) तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66(D) के तहत मामला दर्ज किया गया .
मुख्य आरोपियों में से एक मनीष ग्रे उर्फ मैडी एक अभिनेता है, जो पहले वेब सीरीज और टीवी शो में नजर आ चुका है. उसका मुख्य कार्य लोगों की भर्ती कर उन्हें म्यांमार भेजने का था. वह म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया और भारत में विभिन्न स्थानों से इस धोखाधड़ी को संचालित कर रहा था. वहीं, तलानिति नुलक्सी भारत में एक नया साइबर क्राइम यूनिट स्थापित करने की योजना बना रहा था.
जांच अभी जारी है और सभी पीड़ितों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं ताकि इस संगठित साइबर गुलामी नेटवर्क के पीछे छिपे अपराधियों को भी पकड़ा जा सके. महाराष्ट्र साइबर इस पूरे अपराध श्रृंखला के हर कड़ी तक पहुंचने और सभी दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है.
महाराष्ट्र साइबर नागरिकों ने अपील किया है कि वे किसी भी प्रकार के फर्जी नौकरी प्रस्तावों से सावधान रहें, विशेषकर वे जो असामान्य रूप से अधिक वेतन या विदेश में रोजगार का वादा करते हैं. किसी भी नौकरी प्रस्ताव की वैधता की जांच अवश्य करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना संबंधित प्राधिकरण को दें.