नई दिल्ली : अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद अपने रोमांचकारी अनुभव शेयर किए हैं. बिना स्पेस सूट के पहली बार नजर आ रहे शुभांशु अपने साथियों के साथ लाइव सामने आए. अंतरिक्ष से अपनी पहली कॉल की शुरुआत शुभांशु ने नमस्कार के साथ की. उन्होंने कहा, बच्चों की तरह चलना-फिरना और खाना-पीना सीखना अविश्वसनीय अनुभव वाला पल है.
शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की उड़ान पर जाने के साथ इतिहास तो रच चुके हैं, लेकिन अभी उनकी असली मंजिल बाकी है. शुभांशु शुक्ला समेत चार अंतरिक्ष यात्री गुरुवार शाम को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ने वाले हैं. इससे पहले चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेस से पहली लाइव कॉल की. स्पेस सूट और अन्य उपकरणों के बिना सारे अंतरिक्ष यात्री बहुत हंसते खिलखिलाते नजर आए. ग्रुप कैप्टन शुभांशु ने कहा कि 30 दिनों तक लगातार क्वारंटाइन रहने के बाद वो लॉन्च के लिए पूरी तरह तैयार थे.
शुभांशु ने कहा, अंतरिक्ष से नमस्कार, मैं अपने सहयोगी अंतरिक्ष यात्रियों के संग यहां आकर बेहद रोमांचित और उत्साहित हूं. अपने सहयोगियों के साथ यहां मुझे बहुत अविश्वसनीय अहसास हो रहा है. यहां लान्चपैड पर बैठे हुए मैं सिर्फ इतना सोच सकता हूं कि यूं ही बस आगे बढ़ा जाए. 30 दिनों तक क्वारंटाइन रहने के बाद मैं बहुत ज्यादा ही इस स्पेस ट्रैवल के लिए उतावला था. एक्सिओम-4 का लॉन्च का अनुभव तो अलग था, फिर अचानक खामोशी थी, क्योंकि हम वैक्यूम में थे. यह अविश्वसनीय है. यह बेहद खुशनुमा अहसास है.
शुभांशु ने कहा, अपनी सीट पर चिपक गए थे. हम सिर्फ वैक्यूम में तैर रहे थे. मैं इस अवसर पर सबको धन्यवाद देना चाहता हूं, जो इस यात्रा में सहयोगी रहे हैं. ये सबके सहयोग से संभव हो सका है. उन्होंने एक हंस का खिलौना दिखाया और इसे भारतीय संस्कृति और बुद्धिमता का प्रतीक बताया.
शुभांशु शुक्ला ने कहा, उड़ान के बाद मुझे मेरे साथियों ने बताया था कि वो बहुत ज्यादा सो रहे हैं. लेकिन फिर वैक्यूम में आने के बाद अलग ही अनुभव हो रहा है. मैं चलना सीख रहा हूं. चहलकदमी करना सीख रहा हूं. खाने-पीने का नया अनुभव ले रहा हूं. ये बेहद रोमांच से भर देने वाला अनुभव है. मैं एक बच्चे की तरह कदम दर कदम चलना सीख रहा हैं. मैं बाहर के दृश्य देखकर रोमांचित हूं. गलतियां करना ठीक है, लेकिन अगर कोई और गलती करे तो उससे देखकर सीखना ज्यादा अच्छा है.