एक्सिओम-4 : अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने की 100 लाख किमी यात्रा, देखे 230 सूर्योदय; 60 से अधिक प्रयोग

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नई दिल्ली : अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके एक्सिओम-4 चालक दल ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 230 सूर्योदय देखे हैं। इस दौरान शुभांशु ने अंतरिक्ष में लगभग 100 लाख किलोमीटर की यात्रा की है। शुक्ला, पैगी व्हिटसन, स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीवस्की और टिबोर कापू सहित एक्सिओम-4 चालक दल ने भी आईएसएस पर अपना अंतिम अवकाश दिवस बिताया, तथा पृथ्वी पर वापसी की तारीख की नासा द्वारा घोषणा की प्रतीक्षा की।

साठ लाख मील से अधिक की यात्रा : एक्सिओम स्पेस के एक बयान में कहा गया है कि एक्सिओम मिशन 4 (एक्स-4) के चालक दल ने पृथ्वी के चारों ओर लगभग 230 परिक्रमाएं पूरी कर ली हैं और साठ लाख मील (96.5 लाख किलोमीटर) से अधिक की यात्रा की है। बयान में कहा गया है, “पृथ्वी से लगभग 250 मील ऊपर से चालक दल ने अपना खाली समय तस्वीरें और वीडियो लेने, धरती का नजारा देखने और प्रियजनों से फिर से जुड़ने में बिताया।”

अंतरिक्ष में किए गए प्रयोग : जैव चिकित्सा विज्ञान, उन्नत सामग्री, तंत्रिका विज्ञान, कृषि और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 60 से अधिक प्रयोगों के साथ, एक्स-4 मिशन में अब तक एक्सिओम स्पेस के निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन पर किए गए सबसे अधिक शोध शामिल हैं। ये शोध मानव अंतरिक्ष अन्वेषण और पृथ्वी पर जीवन के भविष्य को बदल सकती है, साथ ही मधुमेह प्रबंधन, नवीन कैंसर उपचार और मानव स्वास्थ्य और प्रदर्शन की बेहतर निगरानी जैसे क्षेत्रों में संभावित सफलताएं भी प्राप्त हो सकती हैं।

शुभांशु शुक्ला ने किए प्रयोग : भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अपने मिशन के अंतिम चरण में ‘मूंग’ और ‘मेथी’ के बीजों की पेट्री डिश में अंकुरित होते हुए तस्वीरें खींची है। इसके बाद उन्हें ISS पर एक स्टोरेज फ्रीजर में रख दिया गया है। यह अंतरिक्ष में एक रिसर्च का हिस्सा है। इस रिसर्च में यह देखा जा रहा है कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, अंकुरण और पौधे के शुरुआती विकास को कैसे प्रभावित करता है। सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का मतलब है, बहुत कम गुरुत्वाकर्षण वाली स्थिति।

कब लॉन्च हुआ था एक्सिओम-4 मिशन? : एक्सिओम-4 मिशन 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित हुआ था और ड्रैगन अंतरिक्ष यान 28 घंटे की यात्रा के बाद अगले दिन अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचा था।

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