बलूचिस्तान : ‘1971 नरसंहार दोहराने पर उतरी PAK सेना, घरों पर दाग रही ग्रेनेड; अंधाधुंध हिंसा का इस्तेमाल

Balochistan-Mass-Murder-Pak-Army

नई दिल्ली : बलूचिस्तान में जैसे-जैसे आजादी की मांग तेज हो रही है. वैसे-वैसे पाकिस्तानी सेना उत्पीड़न पर उतर आई है. बांग्लादेश में 1971 में हुए नरसंहार की तरह अब पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में कहर ढा रही है. सेना के डेथ स्क्वायड ने सोमवार रात को बलूचिस्तान के तुर्बत जिले के अपसर इलाके में एक नागरिक आवास पर ग्रेनेड से हमला किया. इस अटैक में 2 महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं और संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा. बलूचिस्तान के नागरिक संगठनों ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे नरसंहार की कोशिश बताया है.

पूरे बलूच समुदाय को दंडित करने की कोशिश : बलूच नेशनल मूवमेंट नाम के संगठन ने बयान जारी करके कहा कि ये कोई छिटपुट घटनाएं नहीं हैं, बल्कि आतंक की एक व्यवस्थित नीति का हिस्सा हैं. जिसका मकसद आवाज़ों को दबाना, भय पैदा करना और अपने अधिकारों की मांग करने वाले पूरे समुदाय को दंडित करना है. नागरिकों के खिलाफ अंधाधुंध हिंसा का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत एक युद्ध अपराध है.

बलूच यकजेहती समिति (BYC) ने भी इस हमले की कड़ी आलोचना की है. संगठन ने कहा कि यह बलूचिस्तान के लोगों को सामूहिक दंड देने के समान है. बलूच नागरिकों के घरों को निशाना एक व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसके जरिए लोगों में भय पैदा करने की कोशिश की जा रही है.

लोगों के घरों पर दागे जा रहे गोले : बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (BVJ) ने इस हिंसक घटना की निंदा करते हुए इसे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तानी अधिकारियों की ओर से की जा रही ऐसी गैरकानूनी कार्रवाइयों को रोकने और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया.

BVJ ऐसी ही एक और क्रूर घटना का खुलासा करते हुए कहा कि सोमवार शाम को  पाकिस्तानी सेना के फेडरल कांस्टेबुलरी की ओर से दागा गया एक मोर्टार गोला बलूचिस्तान के टंप जिले के एक रिहायशी इलाके में गिरा. इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन बच्चे घायल हो गए.

मदरसे से लौट रहे बच्चे की मौत : मानवाधिकार संस्था ने बताया कि विस्फोट के समय सभी छात्र मदरसे से घर लौट रहे थे. जिसमें 12 वर्षीय मोहम्मद गंभीर रूप से घायल हो गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य घायल बच्चों को इलाज के लिए पास के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. BVJ ने कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की नीतियों और कार्रवाइयों के कारण, प्रांत में युवाओं की सुरक्षा और भविष्य गंभीर रूप से खतरे में है.

बीवीजे ने कहा, ‘हज़ारों लोग जबरन गायब किए जाने, न्यायेतर हत्याओं और व्यवस्थित हिंसा का शिकार हुए हैं. कई लोग स्व-निर्वासन में रहने को मजबूर हैं, लगातार जोखिम और असुरक्षा के बीच जी रहे हैं. यहां तक कि अपनी ही मातृभूमि में भी सुरक्षा का अधिकार अभी भी लोगों को नहीं मिल पाया है. इसकी वजह ये है कि निरंतर दमन उनके विश्वास को कम कर रहा है. उनके अवसरों को सीमित कर रहा है और उनकी अंतर्निहित गरिमा को कम कर रहा है.”

पिछले 78 साल से संघर्ष कर रहे बलूच लोग : मानवाधिकार संगठन ने वैश्विक समुदाय से बलूच युवाओं के अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया. संगठन ने कहा कि उनके खिलाफ सभी मानवाधिकार उल्लंघनों को समाप्त करना, उनकी मौलिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और ऐसा वातावरण बनाना अनिवार्य है जहाँ वे भयमुक्त जीवन जी सकें.

बताते चलें कि बलूचिस्तान के लोग पिछले 78 सालों से पाकिस्तान से अपनी आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. बलूचिस्तान के विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार प्रांत में पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे दमन को उजागर किया है, जिसमें बलूच नेताओं और नागरिकों के घरों पर हिंसक छापे, गैरकानूनी गिरफ्तारियां, जबरन गायब करना, ‘मार डालो और फेंक दो’ की नीति, लोक व्यवस्था बनाए रखने संबंधी अध्यादेश के तहत नजरबंद और मनगढ़ंत पुलिस मामले दर्ज करना शामिल है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *