नई दिल्ली/ढाका : बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद से सरकार में कट्टरपंथियों ने न सिर्फ अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और नफरत को हवा दी बल्कि हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि देश में हिंदुओं की आस्था के प्रतीक एक 200 वर्ष पुराने बरगद के पेड़ तक को काट डाला गया। मदारीपुर जिले के शिराखारा यूनियन के आलम मीर कंडी गांव में कट्टरपंथियों ने बरगद के पेड़ के खिलाफ बाकायदा फतवा जारी किया। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो भी जारी किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 200 साल पुराने धार्मिक मान्यताओं वाले बरगद के पेड़ की स्थानीय हिंदू समुदाय पूजा करता था। यह पेड़ आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ देश के लिए 200 वर्ष पुरानी एक प्राकृतिक विरासत भी था, जहां लोग दूर-दराज से मन्नत मांगते थे। कुछ कट्टरपंथी मौलवियों ने इसे ‘शिर्क’ यानी इस्लाम में अल्लाह के साथ किसी और को जोड़ने की हराम हरकत करार देते हुए फतवा जारी कर दिया। इसी के साथ पेड़ को आरी लेकर काटा गया। पेड़ पर आरी चलाते हुए बांग्लादेशियों का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बताया गया कि हिंदू समुदाय बरगत के इस पेड़ के नीचे दीपक जलाकर पूजा-पाठ करते थे।
हिंदू आबादी मायूस : बरगद के पेड़ के काटने के बाद स्थानीय हिंदू आबादी काफी मायूस और डरी हुई है, क्योंकि बांग्लादेश में अब मुस्लिम चरमपंथी हर तरफ हावी हैं। हिंदुओं की आस्था, प्रतीक और उनके घरों पर हमले हो रहे हैं।