बांग्लादेश : नए नोट में दिखेंगे हिंदू-बौद्ध मंदिर और ऐतिहासिक स्थल, हटाई गई शेख मुजीबुर की तस्वीर

Bangladesh-New-Currency-Temple

नई दिल्ली/ढाका : बांग्लादेश ने रविवार से नए बैंक नोट जारी करना शुरू कर दिया है, जिनमें अब पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर नहीं होगी। शेख मुजीबुर रहमान, जो अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता भी हैं, उसकी तस्वीर बांग्लादेशी मुद्रा के सभी नोटों पर चित्रित थे। शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने और देश में राजनीतिक संकट के बाद बांग्लादेश बैंक ने पिछले साल घोषणा की थी कि वे नए नोट जारी करने की दिशा में काम करेंगे।

नोटों में नहीं दिखेगा मानव चित्र : न्यूज एजेंसी एएफपी से बात करते हुए बांग्लादेश बैंक के प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने कहा कि नई मुद्रा बांग्लादेश के प्राकृतिक दृश्यों और ऐतिहासिक स्थलों को प्रदर्शित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। खान ने कहा, “नई श्रृंखला और डिजाइन के तहत, नोटों में किसी भी मानव चित्र को नहीं दिखाया जाएगा, बल्कि इसके बजाय प्राकृतिक दृश्यों और पारंपरिक स्थलों को प्रदर्शित किया जाएगा।”

बांग्लादेश बैंक ने जारी किए नोट : एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, बैंक नोटों में हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें, दिवंगत जैनुल आबेदीन (प्रसिद्ध बंगाली चित्रकार) की कलाकृतियां और राष्ट्रीय शहीद स्मारक, जो 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान जान गंवाने वालों के सम्मान में बनाया गया है, शामिल होंगे। बांग्लादेश बैंक ने तीन अलग-अलग मूल्यवर्ग के नोट जारी किए हैं। आरिफ हुसैन खान ने आगे कहा, “नए नोट केंद्रीय बैंक के मुख्यालय से और बाद में देश भर में इसके अन्य कार्यालयों से जारी किए जाएंगे। नए डिजाइन वाले अन्य मूल्यवर्ग के नोट चरणों में जारी किए जाएंगे।”

बांग्लादेशी मुद्रा में पिछले बदलाव : यह पहली बार नहीं है, जब बांग्लादेश ने अपनी मुद्रा में बदलाव किया है। 1972 में, पाकिस्तान से मुक्ति के बाद देश ने अपनी मुद्रा बदल दी थी। इन नोटों में नवगठित राष्ट्र का नक्शा दिखाया गया था। इन शुरुआती नोटों के बाद, नए मूल्यवर्ग में अवामी लीग के नेता शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर छपी। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी जैसी अन्य पार्टियों के कार्यकाल के दौरान, मुद्रा में ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल शामिल होते थे।

शेख मुजीबुर रहमान के बारे में : बता दें कि शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के एक प्रमुख राजनीतिक नेता, क्रांतिकारी और राजनेता थे। उन्हें बांग्लादेश का संस्थापक राष्ट्रपति और “बांग्लादेश का जनक” माना जाता है। उन्हें प्यार से “बंगबंधु” भी कहा जाता है। वे अवामी लीग के अध्यक्ष थे। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संग्राम का नेतृत्व करते हुए बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई। बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद, वह बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति (1971-72; 1975) और बाद में प्रधानमंत्री (1972-75) बने। 25 मार्च 1971 की आधी रात को उन्होंने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की। इसके तुरंत बाद उन्हें गिरफ्तार कर पाकिस्तान की मियांवाली जेल में रखा गया। दिसंबर 1971 में बांग्लादेश के आजाद होने के बाद, वे पाकिस्तान की कैद से रिहा हुए और बांग्लादेश के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया। 15 अगस्त 1975 को एक सैनिक तख्तापलट के दौरान उनकी हत्या कर दी गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *