नई दिल्ली : थाईलैंड की पारंपरिक और रूढ़िवादी बौद्ध व्यवस्था को एक बड़े घोटाले ने हिला कर रख दिया है. इस मामले में कई वरिष्ठ भिक्षुओं पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे पूरे देश में हलचल मच गई है. छह सीनियर भिक्षुओं को उनके पद से हटा दिया गया है और दो अन्य लापता हैं. यह मामला तब सामने आया जब एक महिला के पास से हजारों अश्लील फोटो और वीडियो बरामद हुए, जिनमें वे कई ऊंचे दर्जे के भिक्षुओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नजर आ रही है.
जांच की शुरुआत तब हुई जब बैंकॉक के एक मशहूर मंदिर ‘वाट त्रितोस्थेप’ के प्रमुख भिक्षु अचानक गायब हो गए. इसके बाद पुलिस ने 4 जुलाई को एक 35 साल की महिला के घर पर छापा मारा. इस छापे के दौरान इन आपत्तिजनक सामग्रियों का खुलासा हुआ. अब तक इस मामले में कुल 11 भिक्षुओं के शामिल होने की बात सामने आई है.
मठाधीश, जिनकी पहचान केवल आर्च के रूप में की गई है, उसने जून में अचानक मठ छोड़ दिया और मंदिर और अपने परिवार से संपर्क तोड़ लिया. इसके बाद उसपर धोखाधड़ी या प्रेम संबंधों का शक पैदा हो गया. जांच करने पर अधिकारियों को पता चला कि आर्च एक महिला के साथ रिश्ते में था, जिसे ‘सिका कोर’ या गोल्फ़ के उपनाम से जाना जाता था. जब आर्च ने उससे रिश्ता तोड़ने की कोशिश की, तो उसने कथित तौर पर खुद को प्रेगनेंट बताकर आर्च से 7.8 मिलियन बाट (241,000 अमेरिकी डॉलर) की मांग की. आर्च को जब पता चला कि उसका गर्भवती होने का दावा झूठा था और उसने पैसे देने से इनकार कर दिया. इसके बाद उसने अपनी निजी बातचीत सीनियर भिक्षुओं को बता दी. वहीं, बदनामी के डर से आर्च लाओस भाग गया.
कई हैरान करने वाले हुए खुलासे : भ्रष्टाचार निरोधक अधिकारियों ने बताया कि गोल्फ़ ने बाद में इस संबंध की बात स्वीकार की और उन्हें उसके घर की तलाशी लेने की इजाजत दी, जहां उन्हें पांच मोबाइल फ़ोनों में संग्रहीत 80,000 से ज़्यादा अश्लील तस्वीरें और वीडियो मिले. जांचकर्ताओं ने बताया कि कुछ फुटेज में उसे वरिष्ठ भिक्षुओं के साथ यौन क्रिया करते हुए दिखाया गया था. उसने पुलिस को उन भिक्षुओं और प्रभावशाली आम लोगों की लिस्ट भी दी. इनमें राजनेता भी शामिल थे, जिनके साथ उसके संबंध होने का दावा किया गया था. गोल्फ ने पुलिस को बताया कि उनमें से कुछ पुरुषों से उसके बच्चे हैं, लेकिन उसने अपने पुरुष रिश्तेदारों को पिता के रूप में दर्ज कराया है. उसने स्वीकार किया कि उसने अन्य भिक्षुओं को भी ब्लैकमेल किया था, और उन्हें अपनी ऑनलाइन जुए की लत को पूरा करने के लिए पैसे देने के लिए मजबूर किया था.
क्या है मौजूदा कानून? : मौजूदा कानून के तहत बौद्ध धर्म का नेशनल ऑफिस इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता, क्योंकि धर्म को नुकसान पहुंचाने वाले भटके हुए भिक्षुओं या आम लोगों के लिए कोई सजा का प्रावधान नहीं है. हालांकि, कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि अगर यह पाया गया कि भिक्षुओं ने गोल्फ़ के समर्थन या निजी इस्तेमाल के लिए मंदिर के धन का दुरुपयोग किया है. जैसा कि आर्च के मामले में हुआ, तो वह आपराधिक शिकायत दर्ज कराएगा. ऑफिस के निदेशक इट्टिपोर्न चान-इम ने एक संशोधन पर ज़ोर देकर ‘इस संकट को एक अवसर में बदलने’ का संकल्प लिया है, जिसमें गलत कामों के लिए कठोर दंड का प्रावधान होगा.
स्पेशल कमेटी का गठन हुआ : वर्तमान में, कार्यालय केवल मठवासी नियमों का उल्लंघन करने वालों को ही पद से डिसमिस्ड कर सकता है और उन्हें मुक्त कर सकता है. इट्टिपोर्न ने कहा कि ऑफिस, मठ से निष्कासित भिक्षुओं के लिए एक से सात साल की जेल और 20,000 बाट (620 अमेरिकी डॉलर) से 1,40,000 बाट तक के जुर्माने का प्रस्ताव कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि यही सज़ा उन आम लोगों पर भी लागू होगी, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो, जो जानबूझकर भिक्षुओं या Innovators के साथ यौन संबंध बनाते हैं. इसके साथ ही, बौद्ध धर्म की सर्वोच्च शासी संस्था, संघ सर्वोच्च परिषद, इस घोटाले के मद्देनजर मठ के नियमों की समीक्षा के लिए एक स्पेशल कमेटी का गठन कर रही है. काउंसिल के कार्यवाहक महासचिव चचापोल चियापोर्न ने कहा, ‘मठ के कानूनों में खामियों को दूर करने और जनता का विश्वास बहाल करने की ज़रूरत है.’