झारखंड : चतरा में दो दिवसीय कृषि मेला शुरू, किसानों को योजनाओं से जोड़ने की पहल

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चतरा : कृषकों के उत्पादों को सीधा बाजार से जोड़ने और बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने के उद्देश्य से चतरा जिले के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में शुक्रवार को दो दिवसीय “आकांक्षा हाट सह कृषि उद्यम मेला–2025” का भव्य शुभारंभ हुआ। दीप प्रज्वलन के साथ मेले का विधिवत उद्घाटन किया गया, जिसमें जिले के कृषि इतिहास में एक नई शुरुआत दर्ज हुई।

इस मेले का मुख्य उद्देश्य कृषकों को क्रेताओं से सीधे जोड़ना है, जिससे उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके। इस आयोजन में विभिन्न क्षेत्रों की योजनाओं, तकनीकों और विपणन साधनों को एक मंच पर लाया गया। कार्यक्रम के दौरान कृषकों और राष्ट्रीय स्तर की खरीददार कंपनियों के बीच प्रत्यक्ष संवाद भी हुआ।

मेले में कृषि, गव्य विकास, मत्स्य, उद्यान, भूमि संरक्षण, जेएसएलपीएस, कृषि विज्ञान केंद्र आदि विभागों तथा स्वयं सहायता समूहों एवं कृषक उत्पादक संगठनों द्वारा 40 से अधिक प्रदर्शनी कक्ष लगाए गए। साथ ही 10 से अधिक कृषि विशेषज्ञों और 30 से अधिक नामी क्रेता कंपनियों जैसे अमूल, रिलायंस, सुविधा मार्ट, टोकरी फ्रेश इत्यादि ने भाग लिया।

इस अवसर पर उपायुक्त मती कीर्ति जी द्वारा “जन शिकायत निवारण पोर्टल” तथा “लोक सेतु पोर्टल” का शुभारंभ किया गया। इन पोर्टलों के माध्यम से आम नागरिक योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे तथा अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज कर समाधान की स्थिति देख सकेंगे।

कान्हाचट्टी के बाकचुंबा गांव के किसान उदय दांगी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन किसानों को नई दिशा प्रदान करते हैं। जिला परिषद उपाध्यक्ष बृज किशोर तिवारी ने युवाओं से अपील की कि वे मादक पदार्थों विशेषकर अफीम की खेती से दूर रहते हुए फूल, फल और सब्जियों की खेती की ओर अग्रसर हों।

गव्य विकास निदेशालय, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, राँची के निदेशक जिशान कमर, उपायुक्त मती कीर्ति जी, उपविकास आयुक्त अमरेंद्र कुमार सिन्हा, अपर समाहर्ता अरविंद कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी सिमरिया सन्नी राज तथा चतरा अनुमंडल पदाधिकारी जहूर आलम सहित कई विभागीय पदाधिकारी, कृषक एवं संस्थाएं उपस्थित रहीं। जिशान कमर ने चतरा की टमाटर उत्पादन परंपरा की सराहना की और कहा कि तकनीक, प्रशिक्षण और बाजार से जुड़ाव के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाया जा रहा है।

अपने संबोधन में उपायुक्त कीर्ति जी ने कहा कि यह आयोजन केवल प्रदर्शनी नहीं, बल्कि किसानों के नवाचार, संकल्प और परिश्रम को मंच देने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि कृषि, गव्य, पशुपालन, मत्स्य, भूमि संरक्षण और जेएसएलपीएस जैसी योजनाओं से जुड़े किसानों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

उपायुक्त ने जानकारी दी कि चतरा जिले में कुल 3,94,290 हेक्टेयर भूमि में से 88,700 हेक्टेयर कृषि योग्य है। यहां धान, गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन और सब्जियों का उत्पादन होता है। सिमरिया, गिद्धौर, ईटखोरी, हंटरगंज, प्रतापपुर जैसे प्रखंड सब्जी उत्पादन के केंद्र बन चुके हैं । सरकार द्वारा फसल राहत योजना, कृषि ऋण माफी, बिरसा ग्राम योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और खाद्य सुरक्षा मिशन जैसी योजनाएं लागू की गई हैं। बीज, खाद और कृषि यंत्रों की आपूर्ति ब्लॉकचेन तकनीक से की जा रही है।

सोइल हेल्थ कार्ड योजना के अंतर्गत 2000 से अधिक मिट्टी परीक्षण पूरे किए गए हैं। आत्मा योजना के माध्यम से किसानों को बिहार, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के अनुसंधान संस्थानों में प्रशिक्षण दिया गया है।

216 लाभुकों को दुधारू गाय, बोरिंग और दुग्ध उत्पादन इकाइयों की सुविधा दी गई है। भूमि संरक्षण योजनाओं के अंतर्गत 125 गहरे बोरिंग और 124 परकोलेशन टैंक बनाए गए हैं, जिससे 250 हेक्टेयर भूमि सिंचित हुई है। 1000 से अधिक किसानों को मिनी ट्रैक्टर और कृषि यंत्र दिए गए हैं।

जेएसएलपीएस के ‘पलाश’ ब्रांड के तहत महिला समूहों द्वारा तेल, दाल, अचार, हल्दी, बांस उत्पाद और मुर्गी पालन जैसे कार्य किए जा रहे हैं। इससे महिलाओं की आत्मनिर्भरता को बल मिल रहा है।

उपायुक्त ने राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों से चतरा के उत्पादों को बाजार देने, समझौता करने और जिले को अपने पायलट क्षेत्र के रूप में अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह मंच केवल विचार साझा करने का नहीं, बल्कि क्रेता और उत्पादक के बीच एक मजबूत सेतु का कार्य करेगा। कार्यक्रम का दूसरा दिन (02 अगस्त) को संवाद सत्रों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और पुरस्कार वितरण जैसी गतिविधियों के साथ जारी रहेगा।

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