चीन : CNSA ने लांच किया तियानवेन-2 अंतरिक्ष यान, एस्टेरॉयड पर जाकर लाएगा नमूने

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नई दिल्ली/ताइपे : चीन अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में इतिहास बनाने की राह पर है। इसी क्रम में चीन ने अंतरिक्ष यान तियानवेन-2 लॉन्च किया है। यह अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह के पास एक क्षुद्र ग्रह (एस्टेरॉयड) पर जाकर वहां से नमूने लेकर आएगा। चीन की अंतरिक्ष एजेंसी चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) ने इस बारे में जानकारी दी।

सीएनएसए ने बताया कि गुरुवार को दक्षिणी चीन से लॉन्ग मार्च 3-बी रॉकेट से तियानवेन-2 को लॉन्च किया गया है। ये यान एस्टेरॉयड 2016HO3 से नमूने एकत्र करेगी। साथ ही मुख्य-बेल्ट धूमकेतु 311P की भी जांच करेगा। चीन इस मिशन के जरिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी बढ़ती ताकत भी दिखाना चाहता है। सीएनएसए के प्रमुख शान झोंगडे ने मिशन के बारे में बताया कि तियानवेन-2  एस्टेरॉयड 2016HO3 से शुद्ध चट्टानों के नमूने लेकर लगभग दो साल में वापस आएगा। उन्होंने बताया कि नमूनों के अध्ययन से पृथ्वी के निर्माण के बारे में जानकारी मिलेगी।

इन क्षुद्रग्रहों तक पहुंचना आसान, मिशन के लिए बने मुफीद : इस एक दशक लंबे इसका मिशन का उद्देश्य अभूतपूर्व खोजें करना और ब्रह्मांड को लेकर मानव के ज्ञान को आगे बढ़ाना है। क्षुद्रग्रह 2016 एचओ3 से लिए गए नमूने लगभग दो वर्षों में पृथ्वी पर वापस लाए जाएंगे। क्षुद्रग्रह 2016 एचओ3 और धूमकेतु 311 पी को इसलिए चुना गया क्योंकि इनकी कक्षा अपेक्षाकृत स्थिर हैं, जिससे इन तक पहुंचना आसान होता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये नमूने यह समझने में मदद करेंगे कि पृथ्वी कैसे बनी और पानी की उत्पत्ति कहां से हुई।

चीन पहले पहले चांद से लाया था नूमना : अंतरराष्ट्रीय सहयोग की पहल चीन पहले ही चांद के उस हिस्से से नमूने लाने में सफल रहा है जो कभी पृथ्वी से दिखाई नहीं देता और यह एक ऐतिहासिक मिशन था। चंद्रमा का दूरस्थ भाग वह है जो हमेशा अंतरिक्ष की ओर मुंह करके रहता है और पृथ्वी से कभी नहीं दिखाई देता। यहह भाग पहाड़ों और उल्का-पिंडों के गड्ढों से भरा है और वहां पहुंचना बहुत मुश्किल होता है। इस हिस्से पर चीन का सफल मिशन एक बड़ी उपलब्धि मानी गई थी। इसे लेकर चीन ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग का स्वागत भी किया, लेकिन चीन नासा के साथ सीधा सहयोग नहीं कर सकता, क्योंकि एक अमेरिकी कानून नासा के साथ द्विपक्षीय सहयोग पर रोक लगाता है।

चीन ने बनाया है खुद अंतरिक्ष स्टेशन : अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं की वजह से चीन को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से बाहर रखा गया था। लेकिन चीन ने अपना खुद का स्टेशन बनाकर खुद को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बना लिया है। तियांगोंग चीन का अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन है। इसका नाम तियांगोंग रखा गया है। इस का अर्थ स्वर्गीय महल है। यह तीन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बनाया गया है और पूरी तरह से चीन द्वारा निर्मित है।

ड्रैगन का लक्ष्य 2030 से पहले किसी व्यक्ति को चंद्रमा पर भेजना : चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की सैन्य शाखा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के अधीन है। बीते 20 साल में इस कार्यक्रम ने तेजी से प्रगति की है। चीन अपने दम पर इंसान को अंतरिक्ष में भेजने वाला तीसरा देश बना है। उसने एक मानवरहित यान मंगल पर उतारा और एक रोवर चांद के दूरस्थ भाग पर भेजा। चीन का लक्ष्य 2030 से पहले किसी व्यक्ति को चंद्रमा पर भेजना है। वह भविष्य में तियानवेन-4 मिशन के जरिए बृहस्पति (ज्यूपिटर) की खोज करने की योजना बना रहा है। लेकिन इस मिशन से जुड़ी जानकारियां अभी साझा नहीं की गई हैं।

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