नई दिल्ली : भारत सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए यूरोप का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। केपलर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिफाइनरियों से यूरोपीय देशों को रिफाइंड कच्चे तेल के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। भारत ने यूरोप को प्रतिदिन 3.60 लाख बैरल रिफाइंड क्रूड का निर्यात किया है। अनुमान है कि अगले साल अप्रैल तक यह आंकड़ा बढ़कर 20 लाख बैरल के पार हो सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के समय यूरोप को भारत प्रतिदिन 1.54 लाख बैरल ईंधन का निर्यात करता था। युद्ध शुरू होने पर यह बढ़कर दो लाख बैरल हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिफाइनरियों ने उच्च गुणवत्ता वाले पेट्रोल-डीजल व अन्य रिफाइंड उत्पादों की आपूर्ति में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की है। इससे उन्हें सऊदी अरब को पीछे छोड़ने का मौका मिला। भारत की यह स्थिति आने वाले समय में और मजबूत हो सकती है।
भारत वित्त वर्ष 2023 में मॉस्को के लिए एक प्रमुख बाजार के रूप में उभरा, क्योंकि पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोप में शिपमेंट पर प्रतिबंध के मद्देनजर रूस ने कच्चे तेल पर भारी छूट दी। पश्चिमी आलोचना के बावजूद, भारत ने अपनी ऊर्जा मांग को रूसी तेल के माध्यम से पूरा करना जारी रखा है। यदि ऐसा नहीं किया गया होता, तो बढ़ती तेल कीमतों के कारण आयातित मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप भारत को गंभीर आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता।
रूस अपने मूल्य के आधार पर भारत के लिए कच्चे तेल के प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरा। रूस से कच्चे तेल का आयात 3.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, इसके बाद सऊदी अरब 2.30 बिलियन अमेरिकी डॉलर और इराक से 2.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। पश्चिम द्वारा लगाया गया 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल का मूल्य सीमा रूसी तेल राजस्व को सीमित करने और वैश्विक मूल्य विकार से बचने के लिए तेल के निरंतर प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए था।