नई दिल्ली/कराची : चैंपियंस ट्रॉफी का आज से आगाज होने जा रहा है। टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले एक बड़ा विवाद सामने आया था। कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि पीसीबी ने कराची स्टेडियम में भारत का झंडा नहीं लगाया था। इसको लेकर सोशल मीडिया पर फैंस का आक्रोश फूट पड़ा था और लोगों का मानना था कि भले ही भारत वहां खेलने न गया हो, लेकिन नियम के तहत मेजबान देश को अपने स्टेडियम में आठों टीमों के झंडे लगाने थे। सोशल मीडिया पर कराची स्टेडियम का वीडियो वायरल हो गया था। हालांकि, अब मामला ठीक दिख रहा है। सोशल मीडिया पर कुछ नई तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें बताया गया है कि कराची के स्टेडियम में भारतीय तिरंगे को लगाया गया है।
सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी फैंस ने भी अपने स्टेडियमों में भारतीय ध्वज फहराने से इनकार करने के पाकिस्तान के फैसले की आलोचना की थी। पीसीबी ने विवाद को खारिज करते हुए कहा था कि आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए सिर्फ पाकिस्तान में खेलने वाले देशों के झंडे स्टेडियमों में लगाए गए हैं। पीसीबी के एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया, ‘जैसा कि आप जानते हैं, भारत आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के दौरान अपने मैच खेलने के लिए पाकिस्तान नहीं आ रहा है। कराची के नेशनल स्टेडियम, रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम और लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में उन देशों के झंडे फहराए गए हैं जो इन स्थलों पर खेलने जा रहे हैं।’
जब पूछा गया कि कराची और लाहौर के स्टेडियमों में भारत, बांग्लादेश और अन्य प्रतिभागी देशों के झंडे क्यों नहीं लगाए गए हैं? इस पर सूत्र ने कहा, ‘भारतीय टीम दुबई में अपने मैच खेलने वाली है। वहीं, बांग्लादेश की टीम अभी तक पाकिस्तान नहीं पहुंची है और दुबई में भारत के खिलाफ अपना पहला मैच खेलेगी। इसलिए उनके झंडे नहीं लगाए गए हैं और अन्य देश जो यहां आ चुके हैं और पाकिस्तान में खेलेंगे। उनके झंडे स्टेडियम में हैं।
बीसीसीआई उपाध्यक्ष ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान बोर्ड को पहले पुष्टि करनी होगी कि शुरुआत में भारतीय ध्वज वहां था या नहीं। अगर ऐसा नहीं था, तो इसे रखा जाना चाहिए था। राजीव शुक्ला ने मंगलवार को दिल्ली में रेस्तरां क्रिकेट लीग के मौके पर लाइवमिंट को बताया, ‘सबसे पहले इस बात की पुष्टि की जानी चाहिए कि भारतीय ध्वज वहां था या नहीं। अगर यह नहीं था, तो इसे रखा जाना चाहिए था। सभी प्रतिभागी देशों के झंडे वहां होने चाहिए थे।’