नई दिल्ली : दिल्ली की बीजेपी सरकार ने शुक्रवार को एक अहम बिल पास किया, जिसका मकसद निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी पर लगाम लगाना है। इस बिल का नाम है दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस बिल 2025। यह बिल दिल्ली विधानसभा में बीजेपी की सत्ता में आने के बाद पहला कानून है, जो फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव के बाद पास हुआ।
इस बिल पर सदन में करीब 4 घंटे तक बहस हुई, जिसमें बीजेपी और विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। बीजेपी के 41 विधायकों ने बिल के पक्ष में वोट दिया, जबकि AAP के 17 विधायकों ने इसका विरोध किया। दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं, जिनमें बीजेपी के पास 48 और AAP के पास 22 विधायक हैं। वोटिंग के वक्त बीजेपी के 7 और AAP के 5 विधायक सदन में मौजूद नहीं थे।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि यह बिल दिल्ली के माता-पिता की लंबी मांग को पूरा करता है। उन्होंने कहा, ‘यह बिल स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी से अभिभावकों को राहत देगा।
अब माता-पिता को फीस बढ़ने की चिंता से आजादी मिलेगी।’ शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बिल को पेश करते हुए कहा कि यह सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस बढ़ोतरी पर नजर रखेगा। उन्होंने कहा, ‘हमारा बिल ऑडिट के सख्त नियम लाता है और अभिभावकों को फीस बढ़ोतरी के मामले में वीटो पावर देता है। अगर माता-पिता सहमत नहीं होंगे, तो फीस नहीं बढ़ेगी।’
विपक्षी नेता आतिशी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह अभिभावकों के हित में नहीं है। उन्होंने मांग की कि स्कूलों की फीस 2024-25 के स्तर पर ही रहनी चाहिए और किसी भी बढ़ोतरी को वापस लिया जाए। आतिशी ने यह भी कहा कि बिल में स्कूलों के खर्चों की ऑडिट का कोई प्रावधान नहीं है और यह माता-पिता के कोर्ट में शिकायत करने के अधिकार को भी छीनता है। AAP के विधायक संजीव झा ने मांग की कि बिल को और चर्चा के लिए सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए। हालांकि, AAP के सभी 8 संशोधन प्रस्ताव वोटिंग में खारिज हो गए।
बहस के दौरान AAP विधायक अमानतुल्लाह खान को स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने सदन से बाहर निकाल दिया, क्योंकि उन्होंने बीजेपी विधायक अरविंदर सिंह लवली की बात को बार-बार टोका। बीजेपी विधायकों ने खान पर सदन में धमकी देने का भी आरोप लगाया। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने AAP पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार ने 2015 में जो बिल लाया था, उसमें वो सारी बातें नहीं थीं, जो अब AAP मांग रही है। उन्होंने दावा किया कि AAP सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान भी निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की इजाजत दी थी।
अब यह बिल दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास मंजूरी के लिए जाएगा। अगर यह कानून बन जाता है, तो दिल्ली के निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर सख्त नियम लागू होंगे और अभिभावकों को ज्यादा अधिकार मिलेगा। यह बिल दिल्ली के लाखों अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत की उम्मीद लेकर आया है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि इसमें अभी और सुधार की जरूरत है।