नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में पुलिस की अपराध शाखा ने साइबर, बैंकिंग धोखाधड़ी और सेक्सटॉर्शन रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से अवैध वित्तीय लेनदेन में इस्तेमाल किए गए बैंक खातों के क्रेडेंशियल, 28 मोबाइल फोन, 30 सिम कार्ड, 2 लैपटॉप, 8 चेक बुक और 15 डेबिट कार्ड बरामद किए गए हैं। पीड़ितों को ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल किए गए कई वीडियो और तस्वीरें भी मिली हैं। इनके बैंक खाते में 5 करोड़ रुपये से अधिक की मनी ट्रेल का पता चला है। इनका आपराधिक नेटवर्क राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था।
अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त आदित्य गौतम के अनुसार दिल्ली के न्यू अशोक नगर इलाके में सिंथेटिक बैंक अकाउंट किट रखने वालों के बारे में 24 मई को पता चला था। इन खाता किटों का इस्तेमाल विभिन्न हाईटेक अपराधों सेक्सटॉर्शन, साइबर धोखाधड़ी, बैंकिंग घोटाले, डेबिट/क्रेडिट कार्ड क्लोनिंग आदि में किया जा रहा था। इंस्पेक्टर मंजीत को सूचना मिली कि इन किटों को मयूर विहार फेज-1 एक्सटेंशन के आसपास दिया जाना है। घेराबंदी कर दिल्ली के कृष्णा नगर निवासी उज्ज्वल पांडे, त्रिलोक पुरी निवासी गौरव बरुआ और फेज-1, मयूर विहार निवासी युग शर्मा निवासी को पुलिस ने दबोच लिया।
कॉल सेंटर चलाकर कर रहे थे ठगी : गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने मुंडका इलाके में चल रहे कॉल सेंटर पर छापा मारा। जहां से पुलिस ने दिलशाद अली, सौरव, प्रवेश, रौनक समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में दिलशाद अली मुख्य संचालक है। वह अपने सहयोगी मुंडका निवासी अमित के साथ मिलकर फर्जी बैंक देने वाला कॉल सेंटर चला रहा था।
कॉल सेंटर का काम फर्जी बैंक लोन का लालच देकर लोगों को ठगना था। विश्वास जीतने के बाद टेली कॉलर व्हाट्सएप के जरिए पहचान और अन्य व्यक्तिगत दस्तावेज मांगा जाता था। फिर पीड़ित को फाइल प्रोसेसिंग फीस के बहाने क्यूआर कोड स्कैनर के जरिए भुगतान करने के लिए कहा जाता था। पैसे मिलने के बाद आरोपी मोबाइल बंद कर गायब हो जाते थे।
वीडियो कॉल कर बनाते थे पीड़ित को शिकार : गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद एसीपी अनिल शर्मा की टीम ने दिल्ली के न्यू अशोक नगर से चार और आरोपी जाहिद, रहीस, सोहिल व जयश्री को गिरफ्तार किया है। शुरुआत में पीड़ित को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते थे और फेसबुक मैसेंजर के जरिए पीड़ित का मोबाइल नंबर हासिल करते थे। इसके बाद व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल शुरू करते थे, इस दौरान वे अश्लील क्लिप स्ट्रीम करते थे।
स्क्रीन रिकॉर्डिंग टूल का उपयोग करके पीड़ित की स्क्रीन और प्रतिक्रियाओं को गुप्त रूप से रिकॉर्ड करते थे। फिर रिकॉर्ड की गई सामग्री का इस्तेमाल कर पीड़ित को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो को सार्वजनिक रूप से प्रसारित करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता था और उससे मोटी रकम ऐंठ लेते थे।