नई दिल्ली : बीते डेढ़ दशक यानी 15 सालों में सूचना क्रांति ने देश को जबर्दस्त फायदा पहुंचाया है. भारत तकनीकी रूप से काफी समृद्ध हुआ है. ऑनलाइन बैंकिंग, यूपीआई पेमेंट, डिजी लॉकर के बाद अब आपके लिए डिजिपिन (DIGIPIN ) आ गया है. डिजिपिन भारतीय डाक द्वारा शुरू की गई डिजिटल एड्रेसिंग प्रणाली है, जो 10-अक्षर अल्फ़ान्यूमेरिक कोड के जरिए सटीक लोकेशन की पहचान सुनिश्चित करती है.
DIGIPIN को जानिए : डाक विभाग ने DIGIPIN नामक एक नई डिजिटल एड्रेसिंग प्रणाली शुरू की है, जिसे सटीक स्थान पहचान प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. बड़े-बड़े इलाकों को कवर करने वाले पारंपरिक पिन कोड के विपरीत, DigiPin एक अद्वितीय 10-अंकीय कोड प्रदान करता है जो किसी की निजी संपत्ति यानी प्रॉपर्टी या सरकारी भवन की सटीक लोकेशन को बताता है.
कैसे हासिल करें DIGIPIN? : अपना DIGIPIN प्राप्त करने के लिए, आप या कोई भी यूजर निर्दिष्ट सरकारी वेबसाइट पर जाने के बाद अपने घर का पता लगा सकते हैं और यहां तक कि अपनी लोकेशन यानी एड्रेस का क्यूआर कोड जनरेट कर सकते हैं. इस प्रणाली का मकसद खासतौर से दूरदराज के क्षेत्रों में डिलीवरी को सुव्यवस्थित करना और एम्बुलेंस और अग्निशमन बचाव कार्यों जैसी आपातकालीन सेवाओं को बढ़ाना है.
अपने DIGIPIN प्लेटफ़ॉर्म को जानने के लिए आप यहां लिखी वेबसाइट : (https://dac.indiapost.gov.in/mydigipin/home) पर विजिट करें. ये सरकारी वेबसाइट आपको अपना एक्सक्लूसिव और अद्वितीय 10-वर्ण DIGIPIN कोड (unique 10-character DIGIPIN code) खोजने की अनुमति देती है, जो एक सटीक डिजिटल पते के रूप में कार्य करता है.
क्या फायदा? : DIGIPIN प्रणाली से ऑनलाइन शॉपर्स, लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं और आपातकालीन सेवाओं में काम करने वालों के साथ-साथ अब हॉस्पिटैलिटी और सर्विस सेक्टर में काम करने वालों को भी इसका फायदा होगा. उत्तरदाताओं की त्रुटियां कम होंगी और डिलीवरी के साथ काम की दक्षता बढ़ने का दावा किया जा रहा है. अब कोई भी यूजर सटीक और तेज़ डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए अपने DIGIPIN को Flipkart और Amazon जैसे ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के साथ साझा कर सकेंगे.
DIGIPIN एग्जैक्ट लोकेशन बताता है. ये 4 वर्ग मीटर के भीतर सटीक स्थान की पहचान बताने में सक्षम है. DIGIPIN की एक यूएसपी उसकी गोपनीयता भी है, जिसमें कोई व्यक्तिगत डेटा संग्रहण नहीं होता.
इंडिया पोस्ट के मुताबिक, DIGIPIN एक ओपन-सोर्स राष्ट्रव्यापी जियोकोडेड एड्रेसिंग सिस्टम है जिसे डाक विभाग ने IIT हैदराबाद और NRSC, ISRO के सहयोग से विकसित किया है. यह पिन पूरे भारत को लगभग 4 मीटर x 4 मीटर ग्रिड (घर, कार्यालय, संगठन, आदि) में विभाजित करता है. DIGIPIN प्रत्येक ग्रिड को अक्षांश और देशांतर निर्देशांक के आधार पर एक अद्वितीय 10-वर्ण अल्फ़ान्यूमेरिक कोड प्रदान करता है.
DIGIPIN एक नियमित डाक पते से कैसे अलग है? : आपका एक नियमित डाक पता यानी पोस्टल एड्रेस किसी निश्चित इलाके, सड़क और घर के नंबर पर निर्भर करता है, जबकि DIGIPIN एक भू-स्थानिक संदर्भ से बनी प्रॉपर्टी है, जो किसी स्थान के सटीक निर्देशांक के आधार पर 10-कैरेक्टर वाले अल्फ़ान्यूमेरिक कोड का उपयोग करता है.
क्या DIGIPIN ऑफ़लाइन उपलब्ध है? : हां, DIGIPIN को ऑफ़लाइन उपयोग करने के लिए भी डिज़ाइन किया गया है. डाक विभाग ने DIGIPIN को प्राप्त करने और डिकोड करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में DIGIPIN लॉजिक के लिए प्रोग्रामिंग कोड साझा किया है.
पोस्टल एड्रेस है तो DIGIPIN क्यों : क्या DIGIPIN यूज करने से पोस्टल ए़ड्रेस बदल जाएगा? नहीं, आपका डाक पता वही रहेगा. DIGIPIN डिजिटल एड्रेसिंग की एक अतिरिक्त परत है जो अधिक सटीक और मानकीकृत स्थान पहचान के लिए मौजूदा प्रणाली का पूरक है. DIGIPIN सटीक लोकेशन देकर एड्रेस मैनेजमेंट को सरल बनाता है. DIGIPIN खासकर उन क्षेत्रों में भी मददगार साबित हो सकता है जहां पर कोई स्पष्ट पता मौजूद नहीं है, जैसे ग्रामीण क्षेत्र, जंगल और महासागर.