भारत ने स्वदेशी तकनीक से बनी नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का किया सफल परीक्षण

DRDo-Helicopter

नई दिल्ली : भारत ने स्वदेशी तकनीक से बनी अपनी पहली नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल (NASM-SR) का सफल परीक्षण किया है. यह मिसाइल समुद्र में दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाने के लिए तैयार की गई है. इसका परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना ने ओडिशा स्थित चांदीपुर की एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) में किया.

कैसे हुआ परीक्षण? : अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को भारतीय नौसेना के ‘सी किंग’ हेलीकॉप्टर से इस मिसाइल को बंगाल की खाड़ी में छोड़ा. मिसाइल ने अपने लक्ष्य (एक छोटे जलपोत) को सटीकता से निशाना बनाकर अपनी क्षमता साबित की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता के लिए DRDO और भारतीय नौसेना को बधाई दी.

मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा, ‘इस परीक्षण के दौरान भारतीय नौसेना के सीकिंग हेलीकॉप्टर से लॉन्च किए गए मिसाइल ने लक्ष्यों के खिलाफ अपनी क्षमता का सटीक प्रदर्शन किया है.” बयान में कहा गया है कि इस परीक्षण में मिसाइल ने लंबी दूरी तक जाकर समुद्र की सतह के पास उड़ते हुए सीधे अपने लक्ष्य पर हमला किया. इससे साबित होता है कि यह मिसाइल सटीक निशाना लगाने और दुश्मन के जहाजों को मार गिराने में सक्षम है.

https://twitter.com/DRDO_India/status/1894753964920393957

मिसाइल की खासियत : यह मिसाइल समुद्र के बहुत करीब उड़ान भरते हुए अपने टारगेट तक पहुंच सकती है. इसमें इमेजिंग इंफ्रा-रेड सीकर तकनीक है, जिससे यह टारगेट को पहचानकर सटीक निशाना साध सकती है. साथ ही इसमें हाई-बैंडविड्थ डेटा लिंक है, जिससे उड़ान के दौरान भी इसका निशाना बदला जा सकता है. साथ ही इस तकनीक से लाइव इमेज को पायलट को वापस भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. अफसरों ने बताया कि उड़ान के दौरान तुरंत दोबारा टारगेट निर्धारण के लिए तस्वीरें सीधे पायलट तक वापस भेजने के संबंध में किया गया टेस्ट भी सफल रहा है.

किसने बनाई यह मिसाइल? : इस मिसाइल को DRDO की कई प्रयोगशालाओं ने मिलकर बनाया है, जिनमें रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला और टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला शामिल हैं.

इसकी जरूरत क्यों पड़ी? : यह मिसाइल भारतीय नौसेना को समुद्र में और ज्यादा ताकतवर बनाएगी. अब भारत दुश्मन के जहाजों को तेजी से निशाना बना सकेगा, जिससे देश की सुरक्षा मजबूत होगी. DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने भी पूरी टीम को इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई दी. यह मिसाइल भारतीय नौसेना के लिए एक अहम कदम साबित होगी.

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