नई दिल्ली : केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में पिछले तीन हफ्तों से फंसा ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 फाइटर जेट अभी तक वापस यूके नहीं जा पाया है. इस फाइटर जेट को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले अमेरिका की अब पोल खुल गई है. अमेरिका दावा करता है कि F-35 फाइटर जेट रडार की पकड़ में नहीं आ सकता है, लेकिन भारत के IACCS ने इसे कुछ ही पलों में ट्रेस कर लिया. यह दिखाता है कि भारत का डिफेंस सिस्टम अब कितना एडवांस्ड हो चुका है.
IACCS ने F-35 फाइटर जेट को डिटेक्ट किया : अमेरिका NATO के सदस्यों से यही कहकर F-35 फाइटर जेट बेचता है कि इसे दुनिया का कोई रडार नहीं पकड़ सकता है. भारतीय वायुसेना के मुताबिक, रॉयल नेवी के F-35 फाइटर जेट को अरब सागर में देश के IACCS यानी इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (सेंटर) ने डिटेक्ट कर लिया था. अमेरिका ने इंग्लैंड और इजरायल सहित अपने सहयोगी देशों को इस बेहद एडवांस लड़ाकू विमान को सप्लाई किया है.
दुनियाभर में हो रही अमेरिका की खिंचाई : पहले IACCS के डिटेक्शन और अब उड़ने में असमर्थ होने पर एफ-35 की दुनियाभर में जमकर खिंचाई हो रही है और इसकी क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. IACCS एक नेटवर्क होता है, जिसमें कई सेंसर, रडार और कंट्रोल सेंटर होते हैं. इससे एक बात को साफ हो गई कि भारत का IACCS स्टील्थ विमान को भी पकड़ सकता है. स्टेल्थ का मतलब ही यही होता है कि वह रडार को धोखा दे सके और आसानी से पकड़ में न आए.
मॉडर्न डे वॉरफेयर के लिहाज से तैयार किया गया IACCS : IACCS भारतीय वायु सेना का स्वचालित कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम है, जिसे हवाई क्षेत्र की निगरानी और हवाई संचालन के प्रबंधन के लिए डिजाइन किया गया है. यह सिस्टम सभी हवाई और जमीनी सेंसर, हथियार प्रणालियों, कमांड और नियंत्रण नोड्स से तालमेल कर हवाई स्थिति की सटीक जानकारी प्रदान करता है. IACCS प्रणाली के महत्व की अगर हम बात करें तो इसे मॉडर्न डे वॉरफेयर के लिहाज से तैयार किया गया है.
कितनी होती है एक F-35 फाइटर जेट की कीमत? : एक F-35 की कीमत करीब 118 मिलियन डॉलर यानी करीब एक हजार करोड़ है. पांचवी पीढ़ी के इस विमान को स्टेल्थ क्षमता के लिए जाना जाता है. अमेरिकी विमानन कंपनी लॉकहीड मार्टिन का यह फाइटर जेट हवा से हवा में और हवा से सतह पर हमला कर सकता है. इसमें बहुत ही आधुनिक सेंसर लगे हुए हैं.