गोरखपुर : यूपी के कुशीनगर की मदनी मस्जिद के बाद गोरखपुर की अबू हुरैरा मस्जिद को जीडीए ने अवैध बताकर नोटिस जारी कर दिया. इस नोटिस के 15 दिन की अवधि पूरी होते ही प्रशासन के बुलडोजर की कार्रवाई के पहले मस्जिद कमेटी ने खुद ही चार मंजिला मस्जिद के दो तल्लों को तोड़वाना शुरू कर दिया है.
जीडीए की आपत्ति के बाद मस्जिद कमेटी पक्ष ने मंडलायुक्त के कोर्ट में सुनवाई के लिए प्रार्थना पत्र दिया था. नोटिस की अवधि पूरी होने के साथ ही मस्जिद कमेटी ने ऊपरी दो तल्लों को तोड़ना शुरू कर दिया है. हालांकि जीडीए प्रशासन ने दिए गए नोटिस में नक्शा पास नहीं होने की वजह से निर्माण को पूरी तरह से अवैध बताया है.
जीडीए ने दिया था 15 दिन का समय : गोरखपुर के घोष कंपनी चौक (चैनपुर-मेवातीपुर) के पास नगर निगम की भूमि पर बीते साल चार मंजिला अबु हुरैरा मस्जिद का निर्माण हुआ था. इस मस्जिद के ऊपरी दो तल्लों को मस्जिद कमेटी की ओर से ध्वस्त करने की कार्रवाई शनिवार को शुरू कर दी गई है.
बीते माह 15 फरवरी को जीडीए (गोरखपुर विकास प्राधिकरण) की ओर से अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी किया गया था. जीडीए प्रशासन ने बगैर नक्शा पास किए बनाए गए निर्माण को अवैध करार दिया और 15 दिनों के भीतर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने को लेकर नोटिस जारी कर दिया था.
जीडीए ने चेतावनी दी थी कि अवैध निर्माण को ध्वस्त नहीं करने की दशा में, जीडीए प्रशासन के जरिये खुद अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया जाएगा. इसके साथ ही ध्वस्तीकरण का शुल्क भी वसूल किया जाएगा. 15 दिन की अवधि पूरी होने के साथ ही मस्जिद के मुतवल्ली शोएब अहमद की ओर से मस्जिद के ऊपरी दो तल्लों को मजदूरों के जरिये ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई.
2024 में बनी है मस्जिद : हालांकि जीडीए ने नोटिस में ये साफ नहीं किया है कि नक्शा पास नहीं होने की दशा में पूरा निर्माण अवैध है या फिर सिर्फ ऊपरी दो तलों को ही जीडीए अवैध बता रहा है. इससे पहले 15 फरवरी को जीडीए प्रशासन ने मस्जिद के मुतवल्ली शोएब अहमद को अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की नोटिस दी थी. शोएब के दिवंगत पिता सुहेल अहमद ने साल 2024 में इस मस्जिद का निर्माण कराया था.
जीडीए की नोटिस के मुताबिक, नक्शा पास नहीं होने की दशा में जब जीडीए ने इस पर आपत्ति जताई और अपना पक्ष रखने के लिए उन्हें 4 और 15 फरवरी को नोटिस जारी किया. बताया जा रहा है कि मस्जिद कमेटी की ओर से नोटिस देने में कोई रुचि नहीं दिखा गई. इसके बाद जीडीए ने अवैध मानते हुए ध्वस्तीकरण आदेश जारी कर दिया.
जीडीए की ओर से नक्शा पास नहीं होने की वजह से इसे अवैध निर्माण बताते हुए 30 मई 2024 को निर्माणकर्ता को नोटिस जारी करते हुए उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया, लेकिन निर्माणकर्ता अपना पक्ष रखने के लिए हाजिर नहीं हुए. इसके अलावा न ही कोई अभिलेख प्रस्तुत किए. क्षेत्रीय अवर अभियंता ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 की धाराओं में 15 मई 2024 को पीठासीन अधिकारी के समक्ष चालान प्रस्तुत किया था.
नगर निगम ने दी थी ये जमीन : गोरखपुर के घोष कंपनी चौक पर नगर निगम की जमीन पर साल 2024 में अवैध कब्जा हटाया गया था. जमीन पर बरसों से लोग बसे हुए थे. वहां पर गाड़ी खाने वाली मस्जिद को भी ध्वस्त किया गया था. बाद में उसकी एवज में मस्जिद के ठीक दक्षिण में नगर निगम द्वारा जमीन दे दी गई थी.
इसी जमीन पर पिछले साल मुतवल्ली सोहेल अहमद ने मस्जिद निर्माण कराया था. गोरखपुर विकास प्राधिकरण का आरोप है कि नगर निगम द्वारा दी गई जमीन पर मस्जिद का निर्माण कराया गया, उसका नक्शा पास नहीं कराया गया था.
मस्जिद पक्षकार की मौत : नगर निगम की स्वीकृति के बाद उसकी 46 डिसमिल 9 कड़ी भूमि से अवैध कब्जा हटाया गया था. इसमें एक गाड़ी खाने वाली मस्जिद होने का भी वहां के लोगों ने दावा किया था. प्राधिकरण से जारी आदेश के मुताबिक, पिछले साल क्षेत्रीय अवर अभियंता के स्थल निरीक्षण में पाया गया था कि मेवातीपुर निवासी सुहेल अहमद 60 वर्ग मीटर में भूतल, प्रथम तल का निर्माण कराते हुए दूसरे तल पर छत की तैयारी करा रहे थे. मौके पर कोई स्वीकृत मानचित्र नहीं दिखाया गया. मस्जिद की ओर से पक्षकार सुहेल अहमद का जुलाई माह में निधन हो गया.