नई दिल्ली : इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) के पूर्व सदस्य वेणुगोपाल बदरावाड़ा ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और ICAR के पूर्व महानिदेशक सुब्बन्ना अय्यप्पन की रहस्यमयी मौत की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने इसे एक “असमय और संदिग्ध मौत” करार दिया है।
बदरावाड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में कहा, “अय्यप्पन जी की मौत के हालात बेहद चिंताजनक हैं। उनकी स्कूटर नदी किनारे लावारिस हालत में मिली और मृत्यु का कारण अब तक स्पष्ट नहीं है। यह पूरी घटना एक कोर्ट-निगरानी वाली CBI जांच की मांग करती है।”
संस्थागत भ्रष्टाचार का आरोप : अपने पत्र में बदरावाड़ा ने आरोप लगाया कि यह घटना “ICAR, ASRB (एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट्स रिक्रूटमेंट बोर्ड) और उनसे जुड़ी संस्थाओं में व्याप्त गहराई तक फैले भ्रष्टाचार, अनियमित नियुक्तियों और शक्ति के दुरुपयोग” को उजागर करती है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि, “वैज्ञानिक और किसान समुदाय का मानना है कि यह मौत संस्थागत प्रतिशोध या प्रशासनिक विफलता का नतीजा हो सकती है।”
तीन दिन बाद मिला शव : 70 वर्षीय अय्यप्पन का शव शनिवार को कावेरी नदी, श्रीरंगपट्टन (कर्नाटक) के पास से बरामद किया गया। पुलिस को संदेह है कि उन्होंने नदी में छलांग लगाई। उनके लापता होने के तीन दिन बाद शव मिला। उनका दोपहिया वाहन नदी किनारे मिला था।
ICAR पर बदरावाड़ा का सीधा हमला : बदरावाड़ा ने यह भी कहा कि ICAR ने 5 मई को एकतरफा आदेश से उन्हें गवर्निंग बॉडी से हटा दिया, जो पूरी तरह से गैरकानूनी और गंभीर जांच के बिना किया गया कदम है। उन्होंने आरोप लगाया कि ICAR में भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को चुप कराया जा रहा है, जबकि भ्रष्ट तंत्र को संरक्षित किया जा रहा है।
‘ब्लू रिवॉल्यूशन’ के नायक थे अय्यप्पन : सुब्बण्णा अय्यप्पन, जो मैसूर के विश्वेश्वर नगर औद्योगिक क्षेत्र में रहते थे, 7 मई को लापता हो गए थे। उनके परिवार ने विद्यारण्यपुरम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। वह अक्सर श्रीरंगपट्टन स्थित साईबाबा आश्रम में ध्यान साधना के लिए जाया करते थे। वह ICAR के पहले ऐसे प्रमुख थे जो गैर-फसल विशेषज्ञ थे और भारत में ‘नीली क्रांति’ लाने में अहम भूमिका निभाई थी। वे अपने पीछे पत्नी और दो बेटियों को छोड़ गए हैं।