नई दिल्ली : इंडोनेशिया की आवाम सरकार के खिलाफ सड़कों पर उग्र प्रदर्शन कर रही है. यहां का हाल 2024 में बांग्लादेश में हसीना शेख की सरकार के खिलाफ हुए प्रदर्शन की हूबहू शक्ल लिए है. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बल से झड़प की, वाहनों को आग के हवाले किया और राजधानी जकार्ता में वित्त मंत्री के आवास को लूट लिया. इतना ही नहीं, एक पुलिस इमारत को भी आग लगा दी गई.
इन घटनाओं के चलते राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो ने अपनी चीन यात्रा रद्द कर दी है. TikTok ने देश में लाइव स्ट्रीमिंग सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी हैं. इन प्रदर्शनों की शुरुआत उस समय हुई जब एक प्रदर्शन के दौरान मोटरसाइकिल टैक्सी चालक की पुलिस वाहन से टकराकर मौत हो गई. इसके बाद देश की संसद के 580 सांसदों को मिलने वाले भारी भरकम मकान भत्ते को लेकर जनता का आक्रोश फूट पड़ा गया.
सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा क्यों? : प्रदर्शन की एक बड़ी वजह हाल ही में सामने आई इंडोनेशिया के 580 सांसदों को उनके वेतन के अतिरिक्त हर महीने 50 मिलियन रुपया (लगभग $3,000) मकान भत्ता दिया जाता है. यह राशि जकार्ता की न्यूनतम मजदूरी से लगभग 10 गुना और देश के गरीब क्षेत्रों की न्यूनतम मजदूरी से 20 गुना अधिक है. ऐसे समय में जब देश महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहा है, जनता के बीच इस बात ने गहरा असंतोष पैदा कर दिया.
हिंसा और झड़प : राजधानी जकार्ता समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच भारी झड़पें हुईं. लोगों ने पुलिस परिसर के पास बनी पांच मंजिला इमारत में आग लगा दी. इसके अलावा वित्त मंत्री श्री मुल्यानी इंद्रावती के घर में घुसकर कुर्सियां, पेंटिंग्स और अन्य सामान लूट लिया गया. इतना ही नहीं तीन सांसदों के घरों पर भी हमला किया गया. प्रदर्शन के दौरान तीन लोगों की मौत की भी खबर है, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं.
राष्ट्रपति की अपील और चेतावनी : राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो ने देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार सबको है, लेकिन हिंसा और अराजकता स्वीकार नहीं की जाएगी. अपने भाषण में उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रदर्शनों की प्रवृत्ति देशद्रोह और आतंकवाद जैसी लग रही है. हालात को संभालने के लिए पुलिस और सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है. राष्ट्रपति के अनुसार उनकी सरकार जनता की समस्याओं को समझती है और समाधान के लिए प्रयासरत है.