नई दिल्ली : गणित, जो कई लोगों को मुश्किल और उबाऊ लगती है. उसी में भारत के स्टूडेंट्स ने कमाल कर दिया है. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के सनशाइन कोस्ट में हुए 66वें इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड (IMO) 2025 में भारतीय टीम ने दुनिया भर के 110 देशों में से 7वां स्थान हासिल किया है. वहीं इस प्रतियोगिता में ओपन एआई ने भी कमाल करते हुए स्वर्ण पदक जाती है. ओपन एआई मॉडल ने कुल 6 में से 5 प्रश्न हल किए.
भारतीय टीम ने कुल 6 मेडल जीते हैं, जिनमें तीन गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल शामिल है. भारत ने इस बार अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ते हुए 252 में से कुल 193 नंबर हासिल किए हैं. यह IMO में भारत का अब तक का सबसे ज्यादा स्कोर है.
क्या है इंटरनेशनल मैथमेटिकल ओलंपियाड : इंटरनेशनल मैथमेटिकल ओलंपियाड को आसान भाषा में समझें तो यह पूरी दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित गणित प्रतियोगिता है, जो हर साल स्कूली बच्चों के लिए आयोजित की जाती है. इस ओलंपियाड में कुल 6 सवाल होते हैं, जो बीजगणित (Algebra), कॉम्बिनेटरिक्स (Combinatorics), संख्या सिद्धांत (Number theory) और ज्यामिति (Geometry) जैसे अलग-अलग विषयों से जुड़े होते हैं. हर देश से अधिकतम 6 स्टूडेंट्स की टीम इसमें हिस्सा ले सकती है. एक स्टूडेंट ज्यादा से ज्यादा 42 नंबर ला सकता है और पूरी टीम के लिए अधिकतम स्कोर 252 होता है.
दुनिया की सबसे कठिन गणित परीक्षा में AI ने स्वर्ण पदक जीता : IMO कोई साधारण प्रतियोगिता नहीं है. 1959 में रोमानिया में अपनी शुरुआत के बाद से यह दुनिया भर के हाईस्कूल के छात्रों की गणितीय प्रतिभा की परीक्षा का स्वर्णिम मानक बन गया है. दो दिनों में, प्रतिभागियों को साढ़े चार घंटे की कठिन परीक्षा देनी होती है, जिसमें प्रतिदिन केवल तीन प्रश्न होते हैं. ये कोई साधारण परीक्षा के प्रश्न नहीं हैं. इनके लिए गहन तर्क, रचनात्मकता और समस्या-समाधान की क्षमता की आवश्यकता होती है.
इसके बावजूद OpenAI के मॉडल ने छह में से पाxच प्रश्नों को सही ढंग से हल किया. मानव प्रतियोगियों के समान परीक्षण स्थितियों में. प्रसिद्ध गणितज्ञ टेरेंस ताओ – जो स्वयं IMO स्वर्ण पदक विजेता हैं को भी संदेह था. जून में एक पॉडकास्ट में, उन्होंने सुझाव दिया था कि AI अभी IMO स्तर के लिए तैयार नहीं है और उसे पहले सरल गणित प्रतियोगिताओं में भाग लेना चाहिए. लेकिन OpenAI ने अब इसके विपरीत साबित कर दिया है.
भारत की इस सफलता के पीछे कौन रहा : भारत में IMO के लिए स्टूडेंट्स के चुनाव और उनकी ट्रेनिंग का जिम्मा होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन (HBCSE) और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) संभालता है. दोनों संस्थान प्रतिभाशाली बच्चों को तराशकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने के लिए तैयार करते हैं.
भारत का लगातार शानदार प्रदर्शन : यह तीसरी बार है, जब भारत ने IMO में 7वां स्थान हासिल किया है. इससे पहले 1998 और 2001 में भी भारत इसी पायदान पर रहा था. 1989 में पहली बार IMO में हिस्सा लेने के बाद से, भारत ने 35 बार में से सात बार टॉप-10 में जगह बनाई है. HBCSE के मुताबिक, हाल के सालों में भारत का प्रदर्शन लगातार सुधरा है. यह दूसरी बार है जब देश ने इस ओलंपियाड में तीन गोल्ड मेडल जीते हैं. इससे पहले 1998 में भी भारत ने तीन गोल्ड मेडल जीते थे. सबसे खास बात तो यह है कि 2024 में भारत ने अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान हासिल किया था और चार गोल्ड मेडल जीते थे.
इस साल के हमारे गोल्ड विनर्स कौन हैं : इस साल की भारतीय टीम में कनव तलवार, आरव गुप्ता और आदित्य मंगुडी ने गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है. इनके अलावा, एबेल जॉर्ज मैथ्यू और आदिश जैन को सिल्वर मेडल और अर्चित मानस को ब्रॉन्ज मेडल मिला है. ये सभी स्टूडेंट्स देश के अलग-अलग हिस्सों से हैं, जिनमें से चार दिल्ली के रहने वाले हैं. भारतीय टीम का नेतृत्व इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट दिल्ली की प्रोफेसर शांता लैशराम ने किया. डिप्टी लीडर ISI बेंगलुरु के डॉ. मैनाक घोष थे. ऑब्जर्वर के तौर पर MIT, USA के अतुल शतवर्त नाडिग और डॉ. रिजुल सैनी भी टीम के साथ थे.