नई दिल्ली : भारत ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर ऐसी आवाज उठाई है, जिससे पूरी दुनिया चकित हो गई. हमेशा तटस्थ रहने वाला भारत इस बार ईरान हमले पर जमकर चिंता जताई है. और पूरी दुनिया को एक संदेश दे दिया है कि भारत गलत के साथ नहीं खड़ा है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक BRICS समूह के साथ मिलकर भारत ने ईरान पर 13 जून 2025 से हो रहे सैन्य हमलों पर गहरी चिंता जताई है. इन हमलों को भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया है. इस कदम से न सिर्फ मध्य पूर्व की स्थिति पर भारत का साफ रुख सामने आया, बल्कि वैश्विक शांति के लिए उसकी प्रतिबद्धता भी दुनिया को दिखी है.
ईरान हुआ भारत से खुश : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5-6 जुलाई को रियो डी जनेरियो में होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहां यह मुद्दा और गहराई से उठेगा. भारत के इस रुख से ईरान बेहद खुश है. ईरानी दूतावास ने दिल्ली में बयान जारी कर भारत के “स्वतंत्रता-प्रेमी” लोगों, राजनीतिक दलों, सांसदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और धार्मिक नेताओं का दिल से शुक्रिया अदा किया. दूतावास ने कहा कि जब इजरायल और अमेरिका ने ईरान पर हमले किए, तब भारत के लोगों का समर्थन और शांति के लिए उनकी आवाज़ ने ईरानी लोगों को हौसला दिया.
ब्रिक्स के बयान पर जताई सहमति : BRICS के संयुक्त बयान में साफ कहा गया कि ईरान पर हुए सैन्य हमले, खासकर फोर्डो, इस्फहान और नतांज़ जैसे परमाणु ठिकानों पर हमले, अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं. इन हमलों ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया जो वैश्विक शांति और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है. बयान में सभी पक्षों से बातचीत और कूटनीति के जरिए तनाव कम करने की अपील की गई. साथ ही नागरिकों की जान-माल की रक्षा और बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचाने पर जोर दिया गया. ब्रिक्स ने मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों से मुक्त क्षेत्र बनाने की बात भी दोहराई.
ईरानी दूतावास ने क्या कहा? : ईरानी दूतावास ने अपने बयान में कहा, “भारत का समर्थन सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि यह न्याय, कानून और वैश्विक शांति के मूल्यों की पुष्टि है.” ईरान का मानना है कि भारत जैसे देशों की एकजुटता युद्ध, हिंसा और अन्याय के खिलाफ मजबूत दीवार बनाती है.
लेकिन भारत ने एक जगह दिखाई चालाकी : हालांकि, भारत ने इससे पहले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के एक बयान से खुद को अलग रखा था, जिसमें इजरायल के हमलों की निंदा की गई थी. विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत ने SCO के उस बयान पर चर्चा में हिस्सा नहीं लिया और उसका रुख 13 जून को ही स्पष्ट कर दिया गया था. भारत ने तब भी कूटनीति और बातचीत के जरिए शांति की वकालत की थी.
पूरी दुनिया हुई चकित : भारत का इस तरह का बयान खासकर ब्रिक्स जैसे मंच पर बोलना नए भारत की कहानी कहता है. ब्रिक्स के बयान में शामिल होकर भारत ने न सिर्फ ईरान के साथ एकजुटता दिखाई, बल्कि दुनिया को यह भी बताया कि वह शांति और अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए कितना गंभीर है. इस कदम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. भारत ने एक बार फिर कूटनीतिक रास्ते के जरिए खुद की एक अलग लकीर खींच दी है.